सात हजार साल पुरानी चड्डी कैसे बनी अंडरवियर, जानिए अनोखा इतिहास

हर इंसान को अच्छा और आकर्षक दिखने का शौक होता है और प्रत्येक इंसान को आकर्षक बनाने में कपड़े अहम रोल निभाते हैं। आपके ऊपरी कपड़े ही आपके आकर्षक का केंद्र नही होते बल्कि कपड़ों के नीचे पहने जाने वाले अंतर्वस्त्रों का भी आपको आकर्षक बनाने में काफ़ी रोल होता है। कहते है ना कि जब तक चड्डी में 100 से ज़्यादा छेद ना दिखे तब तक नया नही खरीदते। अब तो दूकान पर नए नए स्टाइल में अंडरवियर उपलब्ध रहते हैं|

सात हजार साल पुरानी चड्डी कैसे बनी अंडरवियर, जानिए अनोखा इतिहास

आपके अनोखे अंडरवियर का इतिहास

आपको यह जान कर हैरानी होगी अंडरवियर को आज से करीब 7 हज़ार साल पहले भी लोग पहनते थे। पहले ये अंडरवियर चमड़े का बना हुआ एक पट्टा होता था, जिसे टांगों से निकाल कर पीछे बांध दिया जाता था। इसको लोग इसलिए पहनते थे ताकि भागने में कोई परेशानी ना हो। तेरहवीं शताब्दी में ढके हुए और ढीले-ढाले अंडरवियर बाजार में आए। पर जिस तरह के कपड़ों से इन्हें बनाया जाता था, वो आरामदायक नहीं थे, जिसकी वजह से खुजली और कई तरह की समस्याएं होने लगी। पुनर्जागरण काल के बाद विशेष तरह के अंडरवियर बाज़ार में आने लगे।

ये सूती होते थे और देखने में आरामदायक भी लगते थे। इनमें से सबसे ज़्यादा पसंद किये जाने वाले अंडरवियर वो थे, जिनकी लम्बाई घुटनों तक होती थी। औद्योगिक क्रांति युग में सन् 1874 में Chicago की एक Company ‘Sharp & Smith’ ने साइकिल चलाते वक़्त सुरक्षा के लिए एक अंडरवियर बनाया था इसके बाद अंडरवियर में हार्ड कैप सपोर्ट जैसी सुविधा देने वाली पहली कंपनी ‘Guelph Elastic Hosiery’ थी, जो एक Canadian कंपनी थी। इसके बाद तो अंडरवियर लोगो की जरूरत ही बन गया और बाजार में अंडरवियर के कई नई कम्पनी आ गई।

 

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