सरकारी अस्पतालों में अनुबंध पर रखे जाएंगे विशेषज्ञ

फतेहाबाद में अनुबंध पर चिकित्सकों की भर्ती के लिए विभाग ने आवेदन मांगे हैं। चिकित्सक इसके लिए शुक्रवार को आवेदन कर सकते हैं। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि वेतन बढ़ाने के बाद भी विशेषज्ञ नहीं मिल पा रहे हैं।

फतेहाबाद के सरकारी अस्पतालों में मेडिकल ऑफिसर से लेकर विशेषज्ञों तक के पद खाली हैं। जिले की जनसंख्या करीब 11 लाख है। इसके बावजूद सरकारी अस्पतालों में एक भी मेडिसिन, सर्जन, हड्डी रोग, शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। विभाग को स्थायी भर्ती के लिए मेडिकल ऑफिसर तक नहीं मिल रहे हैं।

जिले के सरकारी अस्पतालों में विभाग अनुबंध पर विशेषज्ञ रखेगा और इसके लिए डेढ़ लाख रुपये प्रति माह वेतन देने के लिए तैयार है। यहां तक कि उम्र में भी छूट दी गई है। 64 साल की उम्र तक के डॉक्टर आवेदन कर सकते हैं। स्थायी भर्ती में डॉक्टरों को 80 हजार से एक लाख रुपये ही वेतन मिल रहा है। इन चिकित्सकों पर कागजी कार्रवाई का भी बोझ रहता है।

अनुबंध पर चिकित्सकों की भर्ती के लिए विभाग ने आवेदन मांगे हैं। चिकित्सक इसके लिए शुक्रवार को आवेदन कर सकते हैं। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि वेतन बढ़ाने के बाद भी विशेषज्ञ नहीं मिल पा रहे हैं। हालात ये हैं कि रतिया, टोहाना में शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। यहां तक कि महिला रोग विशेषज्ञ की भी कमी है।

मेडिकल ऑफिसर के 68 पद कागज में खाली
जिले के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के 173 पद स्वीकृत हैं। कागज में 105 डॉक्टर कार्यरत और 68 पद खाली हैं। हालात ये हैं कि करीब 20 डॉक्टर नौकरी छोड़ चुके हैं। बिना बताए छुट्टी पर चल रहे हैं। इन पदों को अब तक खाली नहीं दिखाया गया है।

ये विशेषज्ञ रखे जाएंगे अनुबंध पर

विशेषज्ञ पद मानदेय (मासिक)
ऑर्थाे सर्जन – 1 1.50 लाख
एनेस्थेटिस्ट – 2 1.50 लाख
शिशु रोग विशेषज्ञ 2 1.50 लाख
महिला रोग विशेषज्ञ 2 1.50 लाख

जिले के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञों की ये है स्थिति

रेडियोलॉजी – 0
शिशु रोग विशेषज्ञ – 0
मनोचिकित्सक – 0
त्वचा रोग विशेषज्ञ – 1
सर्जन – 0
महिला रोग विशेषज्ञ – 2
एनेस्थिसिया – 4
नेत्र रोग विशेषज्ञ – 1
ईएनटी – 2
मेडिसिन – 0
हड्डी रोग विशेषज्ञ – 0

अधिकारी के अनुसार
जिले भर में चिकित्सकोंं की कमी है। जो डॉक्टर कार्यरत हैं, उन पर कागजी कार्रवाई का भी दबाव रहता है। सरकार से मांग कर रहे हैं कि स्पेशलिस्ट का अलग से कैडर बनाया जाए। पीजी बॉड में भी कमी की जाए। – डॉ. भरत सहारण, प्रधान, हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसिस।

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