सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी वार्ड में 24 घंटे तक मरीजों को मिलने वाला मुफ्त उपचार सेहत विभाग ने बंद कर दिया है। इसके साथ ही विभाग ने 5 वर्ष तक के बच्चों की ओपीडी स्लिप से लेकर उपचार तक मिलने वाली फ्री सुविधा भी बंद कर दी है। इमरजेंसी व पांच साल तक के बच्चों का मुफ्त उपचार बंद होने की पुष्टि सिविल सर्जन डॉक्टर राजिंदर कुमार ने की।
यह सुविधाएं बंद करने का फैसला विभाग द्वारा अप्रैल में लेने की बात कही जा रही है, परंतु प्रदेश के सिविल सर्जनों को उक्त सुविधाएं बंद करने का अधिकारिक पत्र सोमवार की देर शाम प्राप्त हुआ। मंगलवार की सुबह से इमरजेंसी व पांच साल तक के बच्चों को मिलने वाली सुविधाएं पूरी तरह से बंद कर दी गईं।
उक्त सुविधाओं के बंद कर दिए जाने से सरकारी अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड मेंं दाखिल होने वाले मरीजों को अब अपने उपचार के पूरे पैसे देने होंगे। अब तक सेहत विभाग द्वारा इमरजेंसी में दाखिल होने वाले सभी मरीजों का दाखिल होने के समय से लेकर अगले 24 घंटे तक मुफ्त इलाज किया जाता था। इसमें विभिन्नि प्रकार के जांच व दवाइयां सेहत विभाग ही उपलब्ध करवाता था।
ये रहा सुविधा बंद करने का कारण
सेहत विभाग को निचले स्तर से यह डाटा ही अपडेट होकर नहीं मिल रहा था कि कितने लोगों का इमरजेंसी तथा कितने 5 साल के बच्चों का उपचार निशुल्क किया जा रहा है। कुछ लोग इमरजेंसी में दाखिल होकर 24 घंटे तक अपनी सभी जांच फ्री में करवा लेते थे, इसके बाद चले जाते थे। इनका डाटा न होने से विभाग को नुकसान हो रहा था। इसी कारण विभाग ने उक्त सुविधाओं को बंद करने का फैसला लिया है।
सिर्फ एक्सीडेंटल केस में होगा मुफ्त इलाज : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. राजिंदर कुमार ने बताया कि अब इमरजेंसी में सिर्फ एक्सीडेंटल केस से जुड़े सभी मरीजों का पूर्व की भांति मुफ्त उपचार मिलेगा। आम मरीजों को इमरजेंसी में दाखिल होने पर उपचार व जांच के अब पूरे पैसे देने होंगे।
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