संतों ने केंद्र सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में हिंदू हितों से जुड़े गंगा, गाय और राममंदिर जैसे मुद्दों पर गंभीरता न दिखाने का आरोप लगाया। निरंजनी अखाड़े में हुई संत समाज की बैठक में एकमत होकर निर्णय लिया कि मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने अगर गाय, गंगा और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर ठोस निर्णय नहीं लिया तो हरिद्वार के संत दिल्ली तक पदयात्रा निकालकर सरकार को जगाने का काम करेंगे।
मायापुर में श्री निरंजनी अखाड़े में हुई बैठक में जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा कि संत समाज को एकजुट होकर हिंदू समाज के हितों के लिए आगे आना होगा। केंद्र सरकार को गंगा, गाय व मंदिर निर्माण को लेकर मानसून सत्र में ठोस निर्णय लेना चाहिए। केंद्र सरकार ठोस कानून बनाकर हिंदुओं की आस्था का सम्मान करते हुए मंदिर निर्माण की अड़चनों को दूर करे।
गो संरक्षण के लिए सरकार को प्रभावी कदम उठाने होंगे। साथ ही आम नागरिक को भी गो संवर्द्धन व रक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह करना होगा। उन्होंने कहा कि गोमुख से लेकर गंगा सागर तक गंगा में समाहित हो रहे गंदे नालों की टेपिंग तत्काल की जानी चाहिए। गंगा स्वच्छता के लिए सबका योगदान जरूरी है।
जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि केंद्र सरकार के साढ़े चार वर्ष का कार्यकाल बीतने के बाद भी धारा 370, समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर कुछ नहीं किया। दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि मोदी सरकार को संतों एवं हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए मंदिर निर्माण में अब देरी नहीं करनी चाहिए। स्वामी आनंद गिरि महाराज ने सभी संतों महापुरुषों का फूलमालाएं पहनाकर स्वागत कर आभार जताया। उन्होंने कहा कि संत समाज ही सरकार को चेताने का काम कर सकती है। स्वामी आनंद गिरि महाराज ने कहा कि सोई सरकार को जगाने के लिए हरिद्वार से दिल्ली तक जनचेतना पदयात्रा निकाली जाएगी।
परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के महामंडलेश्वर स्वामी चिदानंद मुनि ने बताया कि ऋषिकेश में गंगा में गिर रहे एक नाले का पांच दिन के अंदर ट्रीटमेंट कर उसके जल को पूरी तरह स्वच्छ कर दिया गया। आज वह सेल्फी प्वाइंट बन गया है। सरकार को इसी तर्ज पर काम करते हुए गंगा में समाहित हो रहे गंदे नालों का ट्रीटमेंट कर गंगा को स्वच्छ बनाने में तेजी दिखानी चाहिए।
इस बैटक में जगद्गुरु स्वामी अयोध्याचार्य, बाबा हठयोगी, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महामंडलेश्वर स्वामी आनंद चैतन्य, महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी चिदविलासानंद, महंत बलबीर पुरी, महंत डोगर गिरि, महंत लखन गिरि, स्वामी आलोक गिरि, महंत दुर्गादास, महंत विष्णुदास, महंत रघुवीर दास, स्वामी आशुतोष पुरी आदि उपस्थित रहे।