केंद्र की एनडीए सरकार में शामिल शिवसेना ने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान को लेकर सवाल किए हैं. संपादकीय लेख में बलूच नेताओं पर हुई कार्रवाई का जिक्र करते हुए पार्टी ने लिखा है कि ऐसा भारत और मोदी का समर्थन करने पर हुआ है, तो क्या अब उन्हें मुक्त करवाने के लिए पीओके में सरकार सेना भेजेगी?
पीएम मोदी का समर्थन बलूच नेताओं पर भरी पड़ा
बुधवार के अंक में शिवसेना ने लिखा है, ‘पीएम मोदी का समर्थन बलूच नेताओं को भारी पड़ रहा है. उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया जा रहा है. उन्हें जेल की हवा खानी पड़ रही है. अब मोदी क्या करेंगे? नेताओं को मुक्त करवाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर मे सेना घुसाएंगे या बलूच नेताओं पर होने वाले दमन के खिलाफ एक और भाषण ठोंककर उसका धिक्कार करेंगे.’
पाकिस्तान के अत्याचारों से चाहते हैं मुक्ति
‘सामना’ में आगे लिखा गया है, ‘मोदी के बयान का बलूच नेताओं ने स्वागत किया था. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 15 अगस्त को लाल किले से पाकिस्तान को फटकार लगाई थी. इस कारण बलूचिस्तान, गिलगित की जनता उन पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ सड़कों पर उतरी है. वे पाकिस्तान के अत्याचारों से मुक्ति चाहते हैं. मोदी ने बलूचिस्तान के लोगों का अभिनंदन किया, यही वजह है कि अब उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है.’
‘PAK का झंडा लहराने पर क्या कार्रवाई हुई?’
संपादकीय लेख में पार्टी ने अपने चिरपरिचित अंदाज में बीजेपी शासित केंद्र और जम्मू-कश्मीर की सरकार पर भी निशाना साधा है. शिवसेना ने पूछा है कि पीओके का मुद्दा उठाया गया, जबकि कश्मीर में भी रोज पाकिस्तान का झंडा लहराने वाले और पाकिस्तान का गुणगान करने वाले कम नहीं है. क्या उन पर हिंदुस्तान में कोई कार्रवाई की गई?
स्वतंत्रता सेनानी हैं बलूच नेता
शिवसेना ने लिखा है कि कश्मीर में मारे गए और हिंसाचार करने वाले लोग पाकिस्तान की नजर मे स्वतंत्रता सेनानी होंगे. इस लिहाज से हिंदुस्तान में आने के लिए संघर्ष करने वाले बलूच नेता भी स्वतंत्रता सेनानी ही हैं, ऐसा हम मानते हैं. पार्टी ने सवाल किया है कि पीएम का इस पर क्या कहना है.