माता कालिका के अनेक रूप हैं जिनमें से प्रमुख है- 1.दक्षिणा काली, 2.शमशान काली, 3.मातृ काली और 4.महाकाली। इसके अलावा श्यामा काली, गुह्य काली, अष्ट काली और भद्रकाली आदि अनेक रूप भी है। सभी रूपों की अलग अलग पूजा और उपासना पद्धतियां हैं। आओ जानते हैं शमशान काली क्या है और क्या है उनका मंत्र।

शमशान काली :
1. भयानक अंधकार और श्मशान की देवी को श्मशान काली कहा जाता है।
2. श्मशान में ही इनका मंदिर होता है और वहीं इनकी पूजा होती है।
3. श्मशान काली की साधना तांत्रिक और अघोर पंथ के लोग ही करते हैं।
4. तांत्रिकों के अनुसार वे देवी जो श्मशान में रहती हैं।
5. श्मशान में जाते ही संसासार की नश्वरता का अहसास होता है और वैराग्य प्राप्त हो जाता है।
6. भेदों से युक्त मातंगी, सिद्धकाली, धूमावती, आर्द्रपटी चामुण्डा, नीला, नीलसरस्वती, घर्मटी, भर्कटी, उन्मुखी तथा हंसी ये सभी श्मशान-कालिका के भेद रुप हैं।
7. मंत्र:-॥ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं ॥
8. अघोरी श्मशान घाट में तीन तरह से साधना करते हैं- श्मशान साधना, शिव साधना, शव साधना। ऐसी साधनाएं अक्सर तारापीठ के श्मशान, कामाख्या पीठ के श्मशान, त्र्यम्बकेश्वर और उज्जैन के चक्रतीर्थ के श्मशान में होती है।
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