चाणक्य की शिक्षाएं व्यक्ति को संकटों से उभारती हैं और अच्छे अचारण के लिए प्रेरित करती हैं. चाणक्य प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय के शिक्षक थे. चाणक्य योग्य शिक्षक होने के साथ साथ एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे.
चाणक्य ने जीवन को प्रभावित करने वाले सभी विषयों का बड़ी ही गहराई से अध्ययन किया था. अपने अनुभवों को उन्होंने चाणक्य नीति में प्रस्तुत किया है. जो व्यक्ति चाणक्य नीति की शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात कर लेता है वह दुखों से दूर रहता है. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति-
व्यक्ति को उस स्थान को तत्काल छोड़ देना चाहिए, जहां पर राजा, सेठ, चिकित्सक, विद्वान, वेदपाठी और नदी न हो. चाणक्य का मानना था कि व्यक्ति के जीवन में इन पांच चीजों की बहुत जरूरत पड़ती है.
विशेष तौर पर तब जब व्यक्ति संकट में फंस जाए. राजा नहीं होगा तो कोई भी शोषण कर सकता है. अन्याय कर सकता है. धन की कमी आने पर सेठ नहीं होगा तो कौन मदद करेगा.
धन के बिना जीवन संभव नहीं है. सही और गलत का भेद बताने के लिए एक विद्वान का होना बहुत ही जरूरी है. शिक्षा विद्वान से ही प्राप्त होती है जो जीवन के हर मोड़ पर काम आती है. इसी प्रकार वेद का ज्ञाता नहीं होगा तो भी व्यक्ति मोह में फंसा रहेगा. नदी नहीं होगी तो अन्न का संकट खड़ा हो सकता है.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को चरित्रहीन स्त्री, जवाब देने वाला नौकर, दुष्ट मित्र और घर में रहने वाले सांप से हमेशा दूर रहना चाहिए. ये चारों व्यक्ति के लिए जहर के समान हैं. इनसे जितनी जल्दी हो सके त्यागर कर देना चाहिए.
नहीं तो ये व्यक्ति का जीवन नष्ट कर देते हैं. जिस व्यक्ति की पत्नी चरित्रहीन हो वह हमेशा वह कभी खुश नहीं रह सकता है. इसी प्रकार मुंह लगा नौकर या जवाब देने वाला नौकर हमेशा कष्ट देगा.
क्योंकि ऐसे नौकर सभी भेदों को जान लेता है. अगर उसमें स्वामी भक्ति का भाव नहीं है तो ये समय आने पर संकट में भी डाल सकता है. वहीं दुष्ट मित्र किसी भी सूरत में विश्वास के काबिल नहीं होता है. ये बड़ी मुसीबत में भी डाल सकता है. घर में अगर सर्प हो तो उसे पकड़कर जंगल में छोड़ देना चाहिए. घर में सर्प का रहना ठीक नहीं है ये किसी की भी जान ले सकता है.