केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कहना है कि पांच हजार साल के इतिहास में अभी तक कोई ऐसी घटना नहीं हुई है कि किसी हिंदू राजा ने कोई मस्जिद तोड़ी होगी या फिर तलवार के बल पर किसी का जबरन धर्मांतरण कराया हो।
उन्होंने कहा कि हमारी हिंदू संस्कृति- हमारी भारतीय संस्कृति प्रगतिशील भी है, सर्वसमावेशक भी है और सहिष्णु भी है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हम मुस्लिम या मुस्लिम संस्कृति के नहीं बल्कि हम अच्छे हैं, सब काफिर हैं इस प्रवृत्ति के खिलाफ हैं
हमारी संस्कृति न संकुचित है, न जातिवाद है और न ही सांप्रदायिक है। मंत्री ने कहा कि यदि हिंदुस्तान को भविष्य में जीवित रखना चाहते हो, सावरकर को अगर भूल जाएंगे तो 1947 में एक बार ऐसा हो चुका है, मुझे लगता है कि आगे भविष्य के दिन भी अच्छे नहीं जाएंगे। मैं यह बहुत जिम्मेदारी से कह रहा हूं।
अखिल भारतीय स्वातंत्र्यवीर सावरकर साहित्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने सैनिकों को सख्त हिदायत दी थी कि किसी भी धर्म के पवित्र स्थान का अपमान नहीं करना चाहिए। किसी भी धर्म की महिलाएं हों, उनके साथ माता समान व्यवहार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने जो राष्ट्रवादी विचार की सोच दी थी आज वह हमारे लिए बहुत जरूरी है। यदि उसकी तरफ हमने अभी ध्यान नहीं दिया तो एक बार हम देश को दो टुकड़ों में बंटते हुए देख चुके हैं। यदि ऐसा ही रहा तो हमारे देश में ही नहीं दुनिया में भी न समाजवाद रहेगा, न लोकतंत्र और न ही धर्मनिरपेक्षता।
गडकरी ने कहा कि सेकुलर का मतलब धर्मनिरपेक्षता नहीं है। इसका मतलब सर्वधर्म समभाव है। यह हिंदू संस्कृति का नैसर्गिक स्वरूप है। हमने सभी संस्कृतियों का सम्मान किया है। हमारी विशेषता अनेकता में एकता है। उन्होंने कहा आज की स्थिति में हमें सर्वसमावेशक, प्रगतिशील होते हुए और सही अर्थों में सर्वधर्म समभाव करते हुए आगे जाना है लेकिन अल्पसंख्यक की या किसी समुदाय का तुष्टीकरण करना सेक्युलर नहीं है।
गडकरी ने सावरकर का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने एक भाषण में कहा था कि जिस देश में मुस्लिम 51 प्रतिशत हैं उस देश में न लोकतंत्र है न समाजवाद और न ही धर्म निरपेक्षता है।
तब तक यह चलेगा जब तक मुस्लिम बहुसंख्यक नहीं होते। बहुसंख्यक मुस्लिम होने के बाद देश कैसे चलता है उसके लिए पाकिस्तान, सीरिया को देख लें। भाजपा नेता ने कहा कि मुस्लिम समाज में भी प्रगतिशील और उदारवादी लोग हैं। हम मुस्लिम या मुस्लिम संस्कृति के खिलाफ नहीं हैं। जो आतंकवादी हैं, जो कहते हैं हम अच्छे हैं बाकी सब काफिर हैं, सबको हटाओ- इस प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।