विश्व वन्यजीव दिवस: शंकर हाथी से लेकर जगुआर और गिद्ध तक को साथी का इंतजार…

राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में कई वन्य जीव वर्षों से अकेले जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इन्हें लंबे समय से अपने साथी का इंतजार हैं। ये अब भी इस इंतजार में हैं कि उन्हें उनका कोई साथी मिलेगा। लेकिन, चिड़ियाघर प्रबंधन को अभी तक इसमें सफलता नहीं मिली है।

ऐसे में कई वन्य जीवों को अकेलेपन के गम में ही दुनिया छोड़कर जाना पड़ सकता है। यहां 18 वर्ष से अकेले रहने को मजबूर दक्षिण अफ्रीकन हाथी शंकर से लेकर गेंडा माहेश्वरी और अंजुहा, जगुआर, गिद्ध, इंडियन ग्रेट हॉर्न बिल, स्पॉटेड डव, सैंड बोआ सांप, लेडी एमहेर्स्ट फिजेंट व शुतुरमुर्ग जैसे वन्य जीव अकेले जीवन जी रहे हैं। चिड़ियाघर में कई ऐसे वन्य जीवों की तलाश सालों से जारी है, जिन्हें दर्शक विशेष रूप से देखना पसंद करते हैं। इनमें जेब्रा, जिराफ व चिंपांजी जैसे कई वन्य जीव शामिल हैं।

बताते चलें कि चिड़ियाघर में 1959 से 1967 तक कुल 250 प्रजातियों के 1500 से अधिक वन्य जीव 20 बाड़ों में रहते थे। वहीं, अब यहां केवल 95 प्रजातियों के 1250 के करीब वन्य जीव हैं। हालांकि, चिड़ियाघर प्रबंधन वन्य जीवों की प्रजातियों व संख्या को बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है।

अकेलापन नहीं हो रहा दूर
शंकर हाथी का साथी लाने के लिए चिड़ियाघर प्रबंधन पुरजोर कोशिशें कर रहा है। जिम्बाब्वे से आया शंकर वर्ष 2005 में अपने साथी बॉम्बेई की मौत के बाद से बाड़े में अकेला है। इससे वह कई बार मायूस हो जाता है तो कभी-कभी उसे संभालना भी मुश्किल हो जाता है। देश में केवल दिल्ली व मैसूर चिड़ियाघर में ही दक्षिण अफ्रीकन नर हाथी हैं। वहीं, यहां इसी प्रकार दो मादा गैंडा, नर जगुआर व नर शुतुरमुर्ग हैं। यह सभी वर्षों से अपने साथी की तलाश में हैं। साथ ही, मिस्र गिद्ध व सैंड बोआ समेत सांप भी अकेला है।

चिड़ियाघर में जो वन्य जीव नहीं है और जिन्हें साथी की तलाश है, उनके लिए प्रबंधन कार्य कर रहा है। जल्द ही मादा गैंडा को साथी मिल सकता है। शंकर के साथी के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी बातचीत चल रही है। -आकांक्षा महाजन, निदेशक, चिड़ियाघर

9 वर्ष से नहीं है जिराफ और 14 वर्ष से जेब्रा
चिड़ियाघर में पहले अंकित नाम का जिराफ था, लेकिन, 2015 में उसकी हार्ट अटैक और किडनी फेल होने के कारण उसकी मौत हो गई थी। यह वर्ष 1990 में कोलकाता से लाए गए जिराफ जोड़े की संतान था। इसके बाद से दिल्ली चिड़ियाघर में जिराफ की कमी महसूस की जा रही है। यहां 14 वर्ष से जेब्रा नहीं है। पांच साल पहले चिंपांजी रिटा की मौत हो गई थी। यह देश की सबसे बूढ़ी मादा चिंपांजी चिड़ियाघर के बाड़े में ही थी। उसे देश की सबसे बूढ़ी चिंपांजी होने का दर्जा हासिल है। चिड़ियाघर में सफेद बाघ से लेकर बंगाल बाघ के बाड़े के बाहर दर्शकों की अधिक संख्या देखने को मिलती है। उनकी अठखेलियां दर्शकों को वहां कुछ देर रुकने के लिए मजबूर करती हैं। विशेष रूप से बच्चे और महिलाओं को इन बाघों का कल्चर खूब लुभाता है।

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