2019 का चुनाव बेरोजगारी के मुद्दे पर ही लड़ जाएगा। ऐसे में अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे को पूरा करने की कवायद में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बड़ा कदम उठाया है। गहलोत ने जानकारी दी है कि एक 1 मार्च से प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को 3000 और बेरोजगार युवतियों को 3500 रुपये का बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा।

राजस्थान चुनावों से पहले कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में हर महीने 3500 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था। राजस्थान में पहले से ही एक स्कीम अक्षत योजना चल रही है, जिसके तहत 21 से 35 साल के 50 हजार शिक्षित बेरोजगार युवाओं को 2 साल तक भत्ता दिया जाता है। इस स्कीम के तहत बेरोजगार पुरुष को हर महीने 650 रुपये और महिला व दिव्यांग को हर महीने 750 रुपये मिलते हैं।
श्रम विभाग के सूत्रों के अनुसार, ‘सरकार को विभाग में पंजीकृत बेरोजगार युवाओं को सहायता देने के लिए हर साल 210 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। ऊपर से राज्य सरकार पर 3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज भी बकाया है। यह राज्य सरकार के वित्तीय कोष में गड़बड़ी पैदा कर देगा।’
राज्य में बेरोजगारी तेजी से बढ़ने की वजह से स्थिति और बिगड़ती जाएगी। नवंबर 2019 तक, राष्ट्रीय औसत 6.62 फीसदी के सामने राजस्थान में बेरोजगारी दर 12.3 फीसदी है। श्रम एवं रोजगार केंद्रीय मंत्रालय के तहत नैशनल करियर सर्विस के मुताबिक, राजस्थान में 31 मार्च 2018 तक 857316 लोगों ने पंजीकरण कराया जबकि राज्य में जॉब वैकन्सी सिर्फ 12,854 रुपये है- यानी महज 1.5 फीसदी बेरोजगारों को ही नौकरी मिल सकेगी
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