आज के समय में भी कई सवाल हैं जो मन में होते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर मंदिर में क्यों लगाते हैं परिक्रमा. वैसे तो मंदिर जाकर पूजा पाठ करना तो बेहद आम बात है, लेकिन अक्सर आप भी मंदिर में जाकर परिक्रमा लगाते हैं लेकिन बहुत कम लोग इसके पीछे की मान्यता के बारे में जानते हैं. वैसे अक्सर ही मंदिर जाकर पूजा आरती के बाद हर कोई 5 या 7 बार परिक्रमा लगाता है और बिना परिक्रमा के पूजा सफल नहीं मानी जाती है. कहते हैं कोई भी मंदिर क्यों न हो, वहां परिक्रमा ज़रूर लगाई जाती है और केवल इतना ही नहीं, कई लोग तुलसी को जल देते समय भी परिक्रमा करते हैं. अब आज हम आपको परिक्रमा करने के पीछे की मान्यता क्या है.

मान्यता – कहते हैं भगवान गणेश जी की अपने भाई कार्तिक के साथ पूरी सृष्टि के चक्कर लगाने की शर्त लगी थी, लेकिन गणेश जी ने सिर्फ अपने माता पिता के ही तीन चक्र लगाए उन्हें विजय प्राप्त हुई थी, क्योंकि पूरी सृष्टि माता पिता के चरणों में ही हैं। इसी आधार पर भगवान को अपना माता पिता मानकर हर कोई परिक्रमा लगाता है और माना जाता है कि परिक्रमा लगाने से भगवान माता पिता के रूप में उस व्यक्ति के साथ बने रहते हैं, जोकि उनकी परिक्रमा करता है।
परिक्रमा लगाने से आर्थिक स्थिति मजबूत होता है – कहा जाता है परिक्रमा लगाने से भगवान की कृपा बरसती है और इससे आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. इसी के साथ व्यक्ति के घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है. कहा जाता है ऐसे लोगों के साथ भगवान हमेशा साए की तरह बने रहते हैं.
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