लगातार भारी बारिश की चेतावनी के बाद भी मौसम की सटीक भविष्यवाणी का सिस्टम नहीं

उत्तराखंड में मौसम की भविष्यवाणी का सटीक सिस्टम नहीं है। यहां तक की बादलों और हवाओं की स्थिति देखने के लिए एक राडार तक उपलब्ध नहीं है। इसके चलते मौसम विभाग को पटियाला और दिल्ली के राडार से मिलने वाले आधे-अधूरे इनपुट्स के आधार पर मौसम का पूर्वानुमान जारी करना पड़ता है। ये पूर्वानुमान सौ वर्ग किमी क्षेत्रफल के लिए जारी किए जाते हैं।

मौसम विभाग की भविष्यवाणी को लेकर अक्सर लोगों में असमंजस रहता है। कई बार ऐसा होता है जब विभाग भारी बारिश की चेतावनी जारी करता है, लेकिन उस दिन छींटा भी नहीं पड़ता। जबकि कई बार हल्की या मध्यम बारिश का अनुमान जारी होने के बावजूद भारी बारिश हो जाती है।

दरअसल, प्रदेश में मौसम विभाग के पास प्रभावी तंत्र नहीं होने से यह दिक्कत होती है। मौसम का अनुमान मुख्यत: बादलों की स्थिति, हवाओं का रुख, नमी और आद्रता जैसे तत्वों के आधार पर जारी किया जाता है। इस पर राडार से नजर रखी जाती है। राडार बादलों और हवाओं के लाइव सेटेलाइट चित्र उपलब्ध कराते हैं, जिनके आधार पर मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

18 साल बाद भी प्रदेश में मौसम विभाग का एक भी राडार नहीं लग पाया

राज्य गठन के 18 साल बाद भी प्रदेश में मौसम विभाग का एक भी राडार नहीं लग पाया है। ऐसे में स्थानीय मौसम केंद्र सेटेलाइट चित्रों, बादलों और हवाओं की स्थिति जानने के लिए पटियाला और दिल्ली के राडार पर निर्भर है। इनसे उत्तराखंड का कुछ हिस्सा ही कवर होता है। इन राडारों की क्षमता 200 किमी तक हवाई दूरी का अध्ययन करने की है, लेकिन इस बीच बादल, पहाड़ी, धूल की परत या अन्य व्यवधान होने की स्थिति में इसकी क्षमता कम हो सकती है। ऐसे में जो क्षेत्र राडार की पहुंच में हैं, वहां का भी सटीक विश्लेषण करना मुश्किल हो जाता है।

छोटे इलाके का नहीं दे सकते पूर्वानुमान 
राज्य में राडार नहीं होने से मौसम विभाग किसी छोटे इलाके में मौसम की सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकता। अभी जो पूर्वानुमान जारी किए जाते हैं, वे सौ वर्ग मीटर क्षेत्रफल के होते हैं। इस क्षेत्रफल के कुछ इलाकों में यह पूर्वानुमान बिल्कुल सही हो सकता है जबकि कुछ स्थानों पर पूरी तरह गलत भी पाया जा सकता है। उदाहरण के लिए 22 जुलाई को मौसम विभाग ने देहरादून में बहुत भारी बारिश की आशंका जताई थी। शहर के ज्यादातर स्थानों पर यह पूर्वानुमान भले ही गलत निकला, लेकिन जौलीग्रांट, मसूरी और चकराता क्षेत्र में यह काफी हद तक सही रहा।

प्रदेश में तीन राडार लगाने की प्रक्रिया चल रही है। 2020 से पहले इन्हें लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। राडार लगने से मौसम का पूर्वानुमान जारी करने में काफी मदद मिलेगी। इससे छोटे-छोटे क्षेत्रों के मौसम को लेकर भी सटीक भविष्यवाणी की जा सकेगी।

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