जानलेवा कोरोना वायरस के संक्रमण पर अंकुश लगाने तथा इससे प्रभावित लोगों की जान बचाने की खातिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की योजना पर प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की शुरूआत हो गई है। लखनऊ में रविवार को किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से इसका आगाज हो गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोर टीम के साथ रविवार को सुबह बैठक में कहा था कि अब कोरोना प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। प्रदेश के अस्पतालों में सभी आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में पहुंचे कोरोना मरीज की लगातार गंभीर होती हालत देख उसकी जिंदगी बचाने के लिए लखनऊ की पहली कोरोना पीडि़त खुद आगे आईं। उन्होंने कल ही रमजान के पाक महीने में प्लाज्मा दान कर नेकी की मिसाल कायम की। वेंटीलेटर पर मौत से संघर्ष कर रहे मरीज को रात में प्लाज्मा की पहली डोज दे दी गई है। अब डॉक्टर्स को उसकी हालत में सुधार का इंतजार है।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में शुक्रवार को एक डॉक्टर (एनेस्थीसिया विशेषज्ञ) को भर्ती कराया। यह डॉक्टर 1981 बैच के जॉर्जिंयस हैं। उरई में सरकारी चिकित्सक भी हैं। रविवार को कोरोना पीडि़त डॉक्टर की हालत गंभीर हो गई। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें ऑक्सीजन का सपोर्ट दिया गया। स्थिति में सुधार न होने पर प्लाज्मा थेरेपी देने की योजना बनाई गई। उन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो गया था। उनकी वेंटिलेटर पर भी स्थिति नियंत्रित नहीं हो रही थी। ऐसी हालत में उन्हें प्लाज्मा थेरेपी दी गई। केजीएमयू में शुक्रवार को रेजीडेंट डॉक्टर व एक अन्य व्यक्ति ने प्लाज्मा डोनेट किया था। दोनों का ब्लड ग्रुप ‘बी’ पॉजिटिव था, जबकि उरई के डॉक्टर का ‘ओ’ पॉजिटिव। तब कोरोना से ठीक होने वाली गोमतीनगर की महिला डॉक्टर को बुलाया गया। महिला डॉक्टर ने 500 एमएल प्लाज्मा डोनेट किया। इसमें से 200 एमएल प्लाज्मा चढ़ाया गया। अब दो दिन बाद रिस्पांस देखने के बाद दूसरी थेरेपी दी जाएगी।
शाम को प्लाज्मा दान, पहले कई टेस्ट
कनाडा से लौटी गोमती नगर निवासी महिला में 11 मार्च को कोरोना की पुष्टि हुई थी। इनका ब्लड ग्रुप-ओ था। वहीं गंभीर मरीज का ब्लड ग्रुप भी ओ मिला। ऐसे में कॉल कर उन्हें बुलाया गया। ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा के मुताबिक, पहले महिला का कोरोना टेस्ट कराया गया। इसके बाद कोरोना एंटीबॉडी टेस्ट, एचआइवी, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, मलेरिया, सिफलिस, सीरम प्रोटीन व ब्लड ग्रुप मैचिंग की गई। तभी प्लाज्मा का संग्रह किया गया।
ऑक्सीजन लेवल गड़बड़ाया, रात में चढ़ाया प्लाज्मा
संक्रामक रोग यूनिट के इंचार्ज डॉ. डी हिमांशु के मुताबिक, मरीज को आठ लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन पर रखा गया। बावजूद उनमें 90 फीसद ऑक्सीजन की पूर्ति ही हो पा रही थी। ऐसे में प्लाज्मा थेरेपी देने का फैसला किया गया। फिलहाल ठीक हो चुकी महिला का संग्रह 500 एमएल प्लाज्मा में से 200 एमएल चढ़ाया गया। अब दूसरे दिन 200 एमएल चढ़ाया जाएगा।