एजेंसी/ जीवन में अपने संकल्प, साधना व लक्ष्य से कभी भी मत गिरो। गिरना ही है, तो प्रभु के चरणों में गिरो। जहां उठाने वाला हो, वहां गिरना चाहिए। जो स्वयं गिरे हुए हो, वहां गिरना अंधों की बस्ती में ऐनक बेचने के समान है। उठने के लिए गिरना आवश्यक है। उसी तरह सोने के लिए बिछौना व पाने के लिए खोना जरूरी है।
लक्ष्मी पुण्य कर्मों से मिलती है। मेहनत से मिलती हो तो मजदूरों के पास क्यों नहीं? बुद्दि से मिलती हो तो पंडितो के पास क्यों नहीं? जिन्दगी में अच्छी संतान, संपत्ति और सफलता पुण्य से मिलती है। अगर आप चाहते हैं की आपका इह लोक और परलोक सुखमय रहे तो पूरे दिन में कम से कम दो पुण्य जरुर करिए। क्योंकि जिन्दगी में सुख, संपत्ति और सफलता पुण्य से मिलती हैं।
संसार में अड़चन और परेशानी न आएं यह कैसे हो सकता हैं। सप्ताह में एक दिन रविवार का भी तो आएगा ना। प्रकृति का नियम ही ऐसा है की जिन्दगी में जितना सुख-दुःख मिलना है, वह मिलता ही है। मिलेगा भी क्यों नहीं, टेंडर मे जो भरोगे वही तो खुलेगा। मीठे के साथ नमकीन जरुरी है, तो सुख के साथ दुःख का होना भी लाजमी है। दुःख बड़े काम की चीज है। जिंदगी में अगर दुःख न हो तो कोई प्रभु को याद ही न करें।
जानिए इस मतलबी दुनिया में सिर्फ इस चीज से है मतलब
दुनिया में रहते हुए दो चीजों को कभी नहीं भूलना चाहिए। न भूलने वाली चीज एक तो परमात्मा तथा दूसरी अपनी मौत। भूलने वाली दो बातों में एक है तुमने किसी का भला किया तो उसे तुरंत भूल जाओ। और दूसरी किसी ने तुम्हारे साथ अगर कभी कुछ बुरा भी कर दिया तो उसे तुरंत भूल जाओ। बस, दुनिया मे ये दो बातें याद रखने और भूल जाने जैसी हैं।
मरने वाला मर कर स्वर्ग गया है या नर्क ? अगर कोई यह जानना चाहता है तो इसके लिए किसी संत या ज्योतिषी से मिलने की जरुरत नहीं है, बल्कि उसकी शवयात्रा में होने वाली बातों को गौर से सुनने की जरुरत है। यदि लोग कह रहे हो कि बहुत अच्छा आदमी था। अभी तो उसकी देश व समाज को बड़ी जरुरत थी, जल्दी चल बसा तो समझ कि व स्वर्ग गया है। और यदि लोग कह रहे हों कि अच्छा हुआ धरती का एक पाप तो कम हुआ तो समझना कि मरने वाला नर्क गया है।
मां-बाप की आंखों में दो बार ही आंसू आते हैं। एक तो लड़की घर छोड़े तब और दूसरा लड़का मुंह मोड़े तब। पत्नी पसंद से मिल सकती है। मगर मां तो पुण्य से ही मिलती है। इसलिए पसंद से मिलने वाली के लिए पुण्य से मिलने वाली को मत ठुकरा देना। जब तू छोटा था तो मां की शैय्या गीली रखता था, अब बड़ा हुआ तो मां की आँखें गीली रखता है। तू कैसा बेटा है? तूने जब धरती पर पहली सांस ली तब तेरे मां-बाप तेरे पास थे, अब तेरा कर्तव्य है कि माता-पिता जब अंतिम सांस ले तब तू उनके पास रहे।
दान देना उधार देने के समान है। देना सीखो क्योंकि जो देता है वह देवता है और जो रखता है वह राक्षस। ज्ञानी तो इशारे से ही देने को तैयार हो जाता है मगर निम्न लोग गन्ने की तरह कूटने- पीटने के बाद ही देने को राजी होते हैं। जब तुम्हारे मन में देने का भाव जागे तो समझना पुण्य का समय आया है। अपने होश- हवास में कुछ दान दे डालो क्योंकि जो दे दिया जाता वह सोना हो जाता है और जो बचा लिया जाता है वह मिट्टी हो जाता है। भिखारी भी भीख में मिली हुई रोटी तभी खाए जब उसका एक टुकड़ा कीड़े- मकोड़े को डाल दे। अगर वह ऐसा नहीं करता तो सात जन्मों तक भिखारी ही रहेगा।
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पैसा कमाने के लिए कलेजा चाहिए। मगर दान करने के लिए उससे भी बड़ा कलेजा चाहिए। दुनिया कहती है की पैसा तो हाथ का मैल है। मैं पैसे को ऐसी गाली कभी नहीं दूंगा।
जीवन और जगत मे पैसे का अपना मूल्य है, जिसे जुठलाया नहीं जा सकता। यह भी सही है की जीवन मे पैसा कुछ हो सकता है, कुछ -कुछ भी हो सकता है, और बहुत-कुछ भी हो सकता है मगर’सब-कुछ’ कभी नहीं हो सकता। और जो लोग पैसे को ही सब कुछ मन लेते हैं वे पैसे के खातिर अपनी आत्मा को बेचेने के लिए भी तैयार हो जाते हैं।