अबू धाबी एक ऐसी जगह है जो खामोशी से दिल में उतर जाती है। यहां ग्लैमर, एडवेंचर, संस्कृति और आराम का खूबसूरत तालमेल है। F1 फिनाले का जोश, Louvre अबू धाबी की कला, TeamLab Phenomena का जादुई अनुभव, और डेजर्ट सफारी का सुकून इसे खास बनाते हैं। यह शहर सोलो ट्रैवल करने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित और आरामदायक है।
कुछ जगहों की रौनक आपका ध्यान खींचती हैं, तो कुछ जगहें ऐसी भी हैं जो खामोशी से दिल में उतर जाती हैं। अबू धाबी मेरे लिए बिल्कुल वैसी ही जगह साबित हुई। चार-पांच दिनों की इस छोटी-सी यात्रा में यह शहर धीरे-धीरे अपने रंग दिखाता गया। कहीं लग्ज़री, कहीं सुकून, तो कहीं रोमांच से भरपूर अनुभव। एक महिला ट्रैवलर के तौर पर यहां मैंने ग्लैमर, एडवेंचर, संस्कृति और आराम का बेहद खूबसूरत तालमेल महसूस किया।
पहला दिन: F1 फिनाले का जोश और जुनून
मेरे सफर की शुरुआत यास मरीना सर्किट में हुए फॉर्मूला 1 अबू धाबी ग्रां प्री से हुई। सीजन की आखिरी रेस को लाइव देखना अपने आप में एक यादगार तजुर्बा था। तेज रफ्तार कारों की गड़गड़ाहट, दर्शकों का जोश और ट्रैक पर हर मोड़ का सस्पेंस, सब कुछ मिलकर जबरदस्त एड्रेनालिन रश दे रहा था।
इस रेस में मैक्स वर्स्टापेन ने जीत हासिल की, जबकि लैंडो नॉरिस वर्ल्ड चैंपियन बने। आखिरी लैप तक बना रहा रोमांच इस सफर की सबसे दमदार शुरुआत बन गया।
दूसरा दिन: कला, वास्तुकला और एक दूसरी दुनिया
रेस की तेज रफ्तार के बाद अबू धाबी ने मुझे ठहरकर महसूस करने का मौका दिया। Louvre अबू धाबी घूमते हुए ऐसा लगा मानो वक्त कुछ पलों के लिए थम गया हो। इसकी शानदार वास्तुकला और दुनिया भर की कलाकृतियां बिना किसी जल्दबाजी के देखने और समझने का सुकून देती हैं। खास बात यह है कि इस म्यूजियम में भारत की ओर से भी कई महत्वपूर्ण कलाकृतियां और ऐतिहासिक वस्तुएं डोनेट की गई हैं, जिन्हें देखकर भारतीय होने का एहसास और भी गहरा हो जाता है।
इसके बाद TeamLab Phenomena का अनुभव बिल्कुल एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। लाइट्स, मूवमेंट और साउंड के साथ लगातार बदलता यह इमर्सिव स्पेस इतना जादुई है कि इसे पूरी तरह शब्दों में बयां करना आसान नहीं — इसे बस महसूस किया जा सकता है।
तीसरा दिन: इतिहास की झलक और रेगिस्तान का सुकून
अबू धाबी को गहराई से जानने के लिए Zayed National Museum एक अहम पड़ाव है। यहां यूएई की शुरुआत, उसकी सोच और विकास की कहानी बेहद असरदार और प्रेरणादायक अंदाज में पेश की गई है। इस जगह ने देश को देखने का मेरा नजरिया और भी गहरा कर दिया।
शाम ढलते-ढलते मैं Desert Safari के लिए निकल पड़ी। सुनहरे रेत के टीले, ड्यून बैशिंग और रेगिस्तान में ढलता सूरज, यह सब रोमांचक होने के साथ-साथ बेहद सुकूनभरा भी लगा। एक महिला होने के नाते यहां हर चीज़ सुरक्षित और अच्छे से मैनेज की हुई महसूस हुई।
चौथा दिन: लग्जरी, जायका और थोड़ा सा ‘मी टाइम’
सफर के आखिरी दिन मैंने यहां के खाने का आनंद लिया। अबू धाबी के मिशेलिन-स्टार रेस्टोरेंट्स Zuma और Hakkasan में डाइनिंग का तजुर्बा बेहद खास रहा। Zuma अपने जापानी क्यूजीन के लिए जाना जाता है, जबकि हक्कासन चाइनीज फ्लेवर्स को एक एलिगेंट अंदाज में पेश करता है। यहां का खाना बेहद लजीज है और खासकर डेजर्ट्स के सामने खुद को रोक पाना वाकई मुश्किल हो जाता है।
मैंने Rixos में ठहरने के साथ-साथ यह भी देखा कि सादियात आइलैंड, यास आइलैंड और मरीना एरिया में हर तरह के ट्रैवलर के लिए बेहतरीन स्टे ऑप्शन्स मौजूद हैं। स्पा, वेलनेस और शांत माहौल इस सफर को पूरी तरह बेहतरीन बना देते हैं।
महिलाओं के लिए क्यों खास है अबू धाबी
इस यात्रा में जो बात सबसे ज्यादा दिल को छू गई, वह था अबू धाबी का महफूज माहौल और मेहमाननवाजी। साफ-सुथरी सड़कें, आसान ट्रांसपोर्ट और मदद के लिए हमेशा तैयार लोग, हर चीज ने मुझे बेफिक्र होकर घूमने का भरोसा दिया। सोलो ट्रैवल करने वाली महिलाओं के लिए यह शहर बेहद आरामदेह और भरोसेमंद लगता है।
अगर आप ऐसी जगह की तलाश में हैं जहां ग्लैमर, एडवेंचर, संस्कृति और सुकून एक साथ मिलें, तो मेरा तजुर्बा यही कहता है कि अबू धाबी एक बेहतरीन जगह साबित होगी। यह शहर खुद को जोर से पेश नहीं करता, बल्कि अपनी खामोश खूबसूरती से आपको अपना बना लेता है।
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