राष्ट्रीय खेल दिवस :- कम होने लगी थी आंखों की रोशनी, वापसी कर श्रुति यादव बनी शूटिंग चैंपियन

शूटिंग चैंपियनिशप में आंख को सबसे अहम माना जात है, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब युवा निशानेबाज श्रुति यादव की आंखों ने जवाब दे दिया। वह डेंगू से ग्रसित हो गई। कम प्लेटलेट्स बहुत कम हो गए। गलत दवा से दिखाई देना भी मुश्किल होने लगा। स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम से पीड़ित हो गई। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आंखों की लेजर सर्जरी के बाद न केवल फिर से दुनिया देख पाई, बल्कि दस मीटर एयर पिस्टल शूटिंग स्पर्धा में महिला चैंपियन का तमगा भी हासिल किया और लगातार तीन वर्ष स्टेट चैंपियन बनीं।

स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम नामक जानलेवा बीमारी से पीड़ित थीं श्रुति 

गोल्डन गर्ल कही जाने वाली जिले की युवा निशानेबाज श्रुति ने अपने प्रदर्शन से कोरबा और छत्तीसगढ़ ही नहीं, देश को भी गौरवान्वित किया है। बाल्को में रहने वाली श्रुति ने वर्ष 2016 में राष्ट्रीय शूटिंग चैंपियन के ठीक पहले बीमारी के कारण स्पर्धा में हिस्सा लेने से चूक गई। ठीक हो ही रहीं थीं कि दो माह बाद फिर से बुखार आ गया और इस बार दवा की प्रतिक्रिया से पूरा शरीर सूज कर काला पड़ गया। आंखों की दृष्टि को भी काफी नुकसान पहुंचा और शरीर की त्वचा छिलने लगी। वह स्टीवन जॉनसन सिंड्रोम नामक जानलेवा बीमारी से पीड़ित थीं।

दस मीटर एयर पिस्टल में छत्तीसगढ़ की पहली महिला निशानेबाज हैं श्रुति

बीमारी से उबरकर श्रुति ने फिर से शूटिंग खेलों का अभ्यास करना शुरू कर दिया। इस बार वे और अधिक मेहनत के साथ कोशिशों में जुट गई। इसके बाद वर्ष 2017, 2018 व 2019 में नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में पहुंची। वर्ष 2018 में वह दस मीटर एयर पिस्टल श्रेणी में प्रदेश के इतिहास में पहली शूटर बन गई, जिन्होंने भारतीय निशानेबाजी टीम ट्रायल के लिए क्वालिफाई किया। इसके बाद वर्ष 2019 में उन्होंने पुन: भारतीय टीम के लिए क्वालिफाई किया। अपर्याप्त सुविधाओं के बीच इंटरनेट व कोच से फोन पर माध्यम से खेल की बारीकियां सीखीं।

शी इंस्पायर’ पुरस्कार से सम्‍मानित 

ब्रिटिश संसद में शी इंस्पायर का खिताब श्रुति को इंस्पायरिंग इंडियन वुमन (आइआइडब्ल्यू) के रूप में ब्रिटिश संसद से वर्ष 2020 की ‘शी इंस्पायर’ पुरस्कार मिला है। यह अवॉर्ड लंदन में ब्रिटिश सांसदों बॉब ब्लैकमैन (पद्मश्री 2020), जॉय मोरिस एवं वीरेंद्र शर्मा ने प्रदान किया। दुनियाभर से 50 भारतीयों को यह पुरस्कार मिला, जिनमें श्रुति ब्रिटिश संसद से अवॉर्ड हासिल करने वाली छत्तीसगढ़ की पहली व एकमात्र महिला हैं। उनके संघर्ष की कहानी को सच्ची प्रेरणा मानते हुए सम्मानित किया गया।

 

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