बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने खरमास के पहले मंत्रिपरिषद् का गठन कर अहम फैसले ले लिए। अब खरमास शुरू होने से पहले कई दिग्गजों को वीआईपी का दर्जा दे दिया है। विधानसभा की समितियों में किन्हें अहम जिम्मेदारी दी गई, पढ़ें।
बिहार की 243 में से 25 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल बने- राष्ट्रीय जनता दल के चर्चित विधायक भाई वीरेंद्र को बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति का प्रमुख चुना गया है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. प्रेम कुमार ने शनिवार को विधानसभा की 19 समितियों के पदाधिकारियों की घोषणा की। इनमें पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा के साथ ही हरि नारायण सिंह, जनक सिंह, दामोदर रावत, अमरेंद्र पांडेय, शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल, संतोष कुमार निराला, सिद्धार्थ सौरभ, अश्वमेघ देवी, संजीव चौरसिया, अवधेश सिंह, अख्तरुल ईमान, मनोरंजन सिंह, रेणु देवी और निशा सिंह को अलग-अलग समितियों की कमान सौंपी गई। तीन समितियों के प्रमुख विधानसभा अध्यक्ष डॉ. प्रेम कुमार ही रहेंगे।
पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र को प्राक्कलन समिति, हरिनारायण सिंह को सरकारी उपक्रम संबंधी समिति, जनक सिंह को याचिका समिति, दामोदर रावत को राजकीय आश्वासन समिति, अमरेंद्र पांडे को प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति, शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल को जिला परिषद एवं पंचायती राज समिति, संतोष कुमार निराला को अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति, सिद्धार्थ सौरभ को निवेदन समिति, अश्वमेघ देवी को महिला एवं बाल विकास समिति, संजीव चौरसिया को आचार समिति, अवधेश सिंह को पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण समिति, अख्तरुल इमान को अल्पसंख्यक कल्याण समिति, मनोरंजन सिंह को पर्यटन उद्योग संबंधी समिति, रेणु देवी को बिहार विरासत विकास समिति और निशा सिंह को कारा सुधार समिति का प्रमुख बनाया गया है। इनमें से ज्यादातर का कार्यकाल फिलहाल 31 मार्च 2026 तक रखा गया है। प्राक्कलन समिति का कार्यकाल 31 मार्च 2027 तक रखा गया है, जिसके सभापति नीतीश मिश्रा हैं। लोक लेखा समिति का भी कार्यकाल 31 मार्च 2027 तक रखा गया है, जिसके सभापति भाई वीरेंद्र हैं। बिहार विधानसभा के नियम समिति, सामान्य प्रयोजन समिति और विशेष अधिकार समिति का गठन विस अध्यक्ष डॉक्टर प्रेम कुमार के सभापतित्व में किया गया है, जिसका कार्यकाल 31 मार्च 2026 तक रहेगा।
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