लखनऊ। यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा के रिजल्ट ने लैपटॉप वितरण के बारे में माध्यमिक शिक्षा विभाग के गणित को गड़बड़ा दिया है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने अपने लोक कल्याण संकल्प पत्र में वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह कॉलेज में दाखिला लेने वाले सभी युवाओं को लैपटॉप देगी।

साथ ही उन्हें स्वामी विवेकानंद युवा इंटरनेट योजना के तहत हर महीने एक जीबी इंटरनेट डाटा मुफ्त दिया जाएगा। लिहाजा माध्यमिक शिक्षा विभाग ने यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा परिणाम के पूर्वानुमान के आधार पर इस साल 12 लाख विद्यार्थियों को लैपटॉप बांटे जाने का खाका खींचा गया था। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से वित्त महकमे को वर्ष 2017-18 के लिए जो बजट प्रस्ताव भेजा गया उसमें भी 12 लाख विद्यार्थियों के लिए 15 हजार रुपये प्रति छात्र की दर से इस मद में 1800 करोड़ रुपये आवंटित करने के लिए कहा गया था।
लैपटॉप वितरण का सारा गुणा-भाग बिगड़ा
शुक्रवार को घोषित हुए यूपी बोर्ड के परीक्षा परिणाम में इंटरमीडिएट परीक्षा में 20 लाख से ज्यादा छात्र उत्तीर्ण हुए हैं। इसके अलावा तकरीबन एक लाख छात्र सीबीएसई और सीआइएससीई बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए हैं। इस तरह से 21 लाख से ज्यादा छात्र प्रदेश में इंटरमीडिएट परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए हैं।
शासन ने पिछले साल लैपटॉप खरीदने के लिए जो टेंडर आमंत्रित किये थे, उसमें न्यूनतम दर 13,490 रुपये प्रति छात्र आया था। इस हिसाब से 21 लाख छात्रों को लैपटॉप देने के लिए 2832.9 करोड़ रुपये की दरकार होगी।
यदि यह मान लिया जाए कि इनमें से 25 फीसद छात्र उच्च शिक्षा के लिए किसी शिक्षण संस्थान में दाखिला न लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटेंगे, तो भी 15.75 लाख छात्र स्नातक कक्षाओं में प्रवेश लेंगे। यानी माध्यमिक शिक्षा विभाग को पौने चार लाख और छात्रों को लैपटॉप बांटने के लिए इंतजाम करना होगा।
सरकार की फेल होती इस गणित को देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब सरकार या तो सिर्फ देधावियों को ही लैपटॉप बांटेगी या उसे अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी।
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