यहां बिना रेलवे ट्रैक के सरपट दौड़ती है ट्रेन, सड़क पर कार की तरह भरती है रफ्तार

रेलवे नेटवर्क के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है. देश में कुल 68,103 किलोमीटर का रेल नेटवर्क है, जो कनाडा (48,150 KMर) और ऑस्ट्रेलिया (43,820 KM) जैसे देशों से भी अधिक है. ऐसा माना जाता है कि बिना ट्रैक के रेलवे का परिचालन संभव नहीं है. लेकिन आज हम आपके एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर बिना रेलवे ट्रैक के ही ट्रेनें सरपट दौड़ती हैं. ये ट्रेनें डामर से बनी सड़क पर कार और बसों की तरह चलती हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसी ट्रेन भला कहां होगी?

ऐसे में बता दें कि दो साल के परीक्षण के बाद, आभासी पटरियों पर चलने वाली एक नई फ्यूचरिस्टिक ट्रेन पहली बार साल 2019 में चीन के सिचुआन प्रांत के यिबिन में लॉन्च की गई. स्टील की पटरियों के बजाय, ये ट्राम-बस-हाइब्रिड डामर पर सफेद रंग से रंगी हुई पटरियों पर चलती हैं. ट्राम-बस-हाइब्रिड से तात्पर्य ऐसे वाहन से है, जो रेलवे और बसों के बीच का संयोजन है. यानी ये है तो ट्रेन, लेकिन बसों की तरह सड़कों पर चलती है. इसे दुनिया के सबसे बड़े ट्रेन निर्माताओं में से एक सीआरआरसी कॉरपोरेशन द्वारा विकसित किया गया है.

ये ट्रेन यूं तो बिना ड्राइवर के ही चलती है, लेकिन दुर्घटनाओं से बचने के लिए इसमें चालक बैठा रहता है. बात ट्रेन की रफ्तार की करें तो ये 70 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से चलती है. ट्रैक पर दौड़ने वाली ट्रेनों की तुलना में ये काफी हल्की होती है और इसके पहिए रबर के होते हैं. 32 मीटर लंबी इस ट्रेन में 3 बोगियां लगी होती हैं, जो 300 लोगों को ले जाने में सक्षम होती हैं. लेकिन जरुरत पड़ने पर इसमें 2 और बोगियां जोड़ी जा सकती हैं. ऐसे में 500 लोग आराम से सफर कर सकते हैं.

बैटरी से चलती है ये ट्रेन
आपको जानकर हैरानी होगी कि ये ट्रेन पेट्रोल-डिजल या बिजली से नहीं चलती है, बल्कि ये लिथियम-टाइटेनेट बैटरी द्वारा संचालित है और एक बार फुल चार्ज होने पर 40 Km की दूरी तय कर सकती है. इसके बैटरियों को स्टेशनों पर करंट कलेक्टरों के माध्यम से रिचार्ज किया जा सकता है. 3 से 5 Km की यात्रा के लिए रिचार्जिंग का समय केवल 30 सेकंड है, जबकि 25 Km की यात्रा के लिए इसे 10 मिनट में चार्ज किया जा सकता है. बता दें कि यह मेट्रो ट्रेन की तरह ही ट्विन हेड सिस्टम पर चलती है, जिसका मतलब है कि इसमें यू-टर्न की कोई जरूरत नहीं है.

लागत है बहुत कम
इस ट्रेन के परिचालन के लिए ट्रैक की आवश्यकता नहीं होती है. ऐसे में इसके निर्माण और रखरखाव की लागत भी बहुत कम हो जाती है. पारंपरिक ट्रेन के एक किलोमीटर के निर्माण में लगभग 15 से 25 करोड़ रुपए की लागत आती है, लेकिन हाई-टेक वर्चुअल लाइन के साथ लागत आधे से भी कम हो जाती है. ऐसा कहा जाता है कि ट्रेन में पर्याप्त सेंसर हैं, जो फुटपाथ की पहचान करते हैं और यात्रा की महत्वपूर्ण जानकारी एकत्रित कर सकते हैं.

.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com