ईडाणा माता मंदिर, बहुत ही ख़ास है। यह अपने चमत्कार के लिए जाना जाता है। यहाँ जो भी भक्त आता है उसकी मनोकामना पूरी होने में देर नहीं लगती। ईडाणा माता का मंदिर उदयपुर शहर से 60 कि.मी. दूर अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। मां का यह दरबार खुले से एक चौक पर बनाया गया है और इस मंदिर के बारे में यह भी कहते हैं कि इसका नाम ईडाणा उदयपुर मेवल की महारानी के नाम पर रखा गया है।
मंदिर को लेकर मान्यता है कि ‘लकवाग्रस्त रोगी यहां आकर ठीक हो जाते हैं।’ इस मंदिर की एक ख़ास बात यह भी है कि यहां स्थित देवी मां की प्रतिमा से हर महीने में दो से तीन बार अग्नि प्रजवल्लित होती है। कहा जाता है यह अग्नि स्नान होता है जिससे मां की पूरी चुनरियां और धागे भस्म हो जाते हैं। अग्नि स्नान को देखने के लिए मां के दरबार में भक्त दूर-दूर से आते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह आग जलती कैसे हैं इस बारे में कोई नहीं जानता।
मंदिर के पुजारी का कहना है, ‘ईडाणा माता पर जब भार बढ़ जाता है तो माता खुद को ज्वालादेवी बना लेती हैं। उनके पास लगी अग्नि धीरे-धीरे विकराल रूप ले लेती है और देखते ही देखते इसकी लपटें 10 से 20 फीट तक पहुंच जाती है। लेकिन इस अग्नि के पीछे की सबसे खास बात यह है कि आज तक इससे श्रृंगार के अलावा किसी अन्य चीज को कोई आंच तक नहीं आई है। भक्त इस दृश्य को देवी का अग्नि स्नान कहते हैं और इसी अग्नि स्नान के कारण आज तक यहां मां का मंदिर नहीं बन पाया है।’ जनश्रुति है कि अगर कोई भक्त इस अग्नि स्नान को देख लेता है तो उसके मन में जो भी इच्छा होती है वह पूरी हो जाती है। इच्छा पूरी हो जाने पर भक्त माँ को त्रिशूल अर्पित करते है। इस मंदिर में वह लोग भी आते हैं जिन्हे संतान नहीं होती। कहा जाता है यहाँ दंपति के द्वारा झुला चढ़ाने से उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है।
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