कोविड की वजह से सावधि कर्ज की अदायगी पर मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त को समाप्त हो रही है। बैंकिंग सेक्टर में इसे आगे बढ़ाने को लेकर स्थिति साफ नहीं हो पा रही है। कारपोरेट लोन को लेकर जो पेंच हैं उसके कामथ समिति की रिपोर्ट से सुलझने के आसार हैं लेकिन खुदरा लोन (होम, आटो, पर्सनल लोन जैसी सावधि कर्ज स्कीमों के तहत लिए गए लोन) को किस तरह से जारी रखा जाए, इसके रोडमैप की राह नहीं निकल पा रही है।
6 अगस्त, 2020 को आरबीआइ गवर्नर ने मौजूदा मोरेटोरियम को लेकर दो अहम घोषणाएं की थी। पहली तो यह कि कारपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग (नए सिरे व नई शर्तो के साथ कर्ज चुकाने की व्यवस्था) पर केवी कामथ समिति गठित की गई। पर्सनल खुदरा लोन जिसमें आटो, होम जैसी सावधि कर्ज स्कीमें आती हैं, के लिए बैंकों को ही फैसला करने को कहा गया है।
आरबीआइ ने यह स्पष्ट किया था कि सिर्फ उन्हें ही यह सुविधा दी जाएगी जिनकी आमदनी कोविड-19 की वजह से प्रभावित हो। आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को फिर मीडिया के समक्ष यह कहा भी कि, ”किसकी मासिक किस्त माफ करनी है और किसकी नहीं, इसका फैसला बैंकों को खुद करना है।” अभी तक सिर्फ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड ने ही इस बारे में फैसला किया है। देश के दो सबसे बडे बैंक एसबीआइ व पीएनबी की तरफ से अगले हफ्ते फैसला होने की संभावना है। सबसे ज्यादा खुदरा लोन देने वाले निजी क्षेत्र के बैंकों की तरफ से अभी कोई संकेत नहीं मिला है।
बैंकों की परेशानी
यही नहीं सरकारी क्षेत्र के कुछ छोटे बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों की तरफ से वित्त मंत्रालय व आरबीआइ को बता दिया गया है कि उनके लिए खुदरा लोन की अदायगी पर और राहत देना मुश्किल है। मुख्य वजह यह बताया जा रहा है कि पिछले छह महीने से उनकी तरफ से कर्ज आवंटन भी नहीं हो रहा है और ना ही कर्ज वसूली हो रही है। इससे छोटे लोन बुक वाले बैंकों की सारी गतिविधियों पर असर पड़ने की आशंका गहरा गई है।
दूसरी समस्या, बैंक यह बता रहे हैं कि यह किस तरह से तय किया जाए कि किसकी आमदनी कोविड से प्रभावित हुई है और किसकी नहीं। कारोबारी लोन को लेकर तो इसकी दिक्कत नहीं आएगी लेकिन होम लोन, आटो लोन ग्राहकों का इस आधार पर चयन करने की चुनौती पैदा होगी। अभी तक कोई भी कर्ज खाताधारक इसका फायदा उठा सकता था। सरकारी क्षेत्र के पंजाब व सिंध बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और सरकार के हिस्सेदारी वाले आइडीबीआइ बैंक उन बैंकों में शामिल हैं जो कोविड-19 से उपजे वित्तीय हालात का सबसे ज्यादा दबाव महसूस कर रहे हैं।
बैंकों ने अपने आतंरिक शोध में पाया है कि जिन लोगों की आमदनी बरकरार थी उन्होंने भी कर्ज अदायगी नहीं की और मोरेटोरियम स्कीम का फायदा उठाया। नई दिल्ली मुख्यालय स्थित एक बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनकी आतंरिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि मोरेटोरियम का फायदा उठाने वालों में 45 से 55 वर्ष के ग्राहकों की संख्या काफी है। इसमें से बहुत बड़ी संख्या उनकी है जो वेतनभोगी हैं और संभवत: आय पर कोई असर नहीं होने के बावजूद वो कर्ज नहीं लौटा रहे।