मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर वो नजारा शायद ही कोई क्रिकेटप्रेमी भूला होगा जब टीम इंडिया के दिग्गज सुनील गावस्कर ने खुद को गलत आउट दिए जाने पर अपने जोड़ीदार चेतन चौहान को मैदान से बाहर चलने के लिए कहा था. 1981 में हुए इस मैच में डेनिस लिली की गेंद पर गावस्कर को अंपायर ने एलबीडब्ल्यू करार दिया था जबकि गेंद साफतौर पर बल्ले पर लगी थी. अंपायर के फैसले से नाराज गावस्कर गुस्से में मैदान से बाहर चले गए थे. कई साल बाद अब ऑस्ट्रेलिया के पूर्व गेंदबाज डेमियन फ्लेमिंग के साथ बातचीत में गावस्कर ने इस घटना को लेकर नया खुलासा किया है.
गावस्कर ने कहा, इस घटना के बारे में ये धारणा बना ली गई कि मैं एलबीडब्ल्यू के फैसले से नाराज था. बेशक ये निराश करने वाला था, लेकिन मैदान से बाहर जाने का फैसला सिर्फ इसलिए किया था क्योंकि जब मैं चेतन चौहान से आगे निकलकर चेंज रूम की तरफ बढ़ रहा था तब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों ने मुझसे कहा कि दफा हो जाओ यहां से. इसके बाद ही मैं वापस लौटा और चेतन से मैदान से बाहर चलने को कहा.
मगर गावस्कर ने मैदान से बाहर चले जाने का फैसला ही क्यों लिया? इस बारे में उन्होंने बताया, इससे एक दिन पहले ऐसे हालात थे जब हमें लगा कि एलन बॉर्डर तीन बार आउट थे, लेकिन उन्हें आउट नहीं दिया गया. और उसके बाद जब उन्होंने शतक लगा लिया तो पैरों के बीच में से गेंद निकलते हुए उन्हें बोल्ड कर गई. मगर यहां भी अंपायर लेग अंपायर से इस बात की पुष्टि करने पहुंच गए कि क्या ऐसा हुआ है. तब सैयद किरमानी ने कहा था कि अगर इसे भी नॉटआउट दे दिया गया तो मैं वॉकऑफ कर जाउंगा. मैंने उनसे कहा कि तुम ऐसा नहीं कर सकते. मगर उन्होंने कहा कि नहीं, ये मेरी ईमानदारी पर सवाल है. ऐसे में ये वॉकऑफ का शब्द तब दिमाग में आया था और जब अगले दिन ऐसा कुछ हुआ तो वॉकऑफ का फैसला किया.
हालांकि बाद में टीम इंडिया के मैनेजर शाहिद दुर्रानी ने चेतन चौहान से मैदान पर रुके रहने को कहा. टीम इंडिया ने बाद में 59 रन से ये मैच अपने नाम किया. इसमें अहम योगदान तेज गेंदबाज कपिल देव के शानदार प्रदर्शन का रहा, जिन्होंने 28 रन देकर 5 विकेट लिए. इस प्रदर्शन की बदौलत ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम चौथी पारी में सिर्फ 83 रनों पर सिमट गई. हालांकि अगर चौहान साथी गावस्कर के फैसले पर सवाल नहीं उठाते तो मेलबर्न टेस्ट इतिहास का पहला रद्द मैच होता.