एशिया के सबसे बड़े कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 65 मीटर है. दावा है अब इसकी ऊंचाई 40 फीट कम हो गई है. जी हां, हम बात कर रहे हैं पूर्वी दिल्ली स्थित गाजीपुर के कूड़े के ढेर की. मीडिया ने इस बाबत पड़ताल की तो पाया कि कूड़ा के पहाड़ का एक हिस्सा साइड से 40 फीट छोटा हुआ है.
साल 2017 में सितंबर के महीने में कुतुब मीनार की ऊंचाई वाले कूड़े के पहाड़ में विस्फोट के बाद गिरे मलबे में दबकर एक शख्स की मौत हुई थी. इलाके के सांसद गौतम गंभीर ने दावा किया है कि कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 40 फीट कम हो गई है.
23 जुलाई को ट्विटर पर गौतम गंभीर ने लिखा कि मैंने वादा किया था कि अगर मैं नहीं कर पाया तो फिर से चुनाव नहीं लड़ूंगा. एशिया का सबसे बड़े कूड़े का पहाड़ एक साल में 40 फीट छोटा हो गया है.
EDMC के डायरेक्टर पीआर व सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर अरुण कुमार ने बताया कि पहले 30 एमएम के दो प्लांट लगाए. लेकिन दोबारा 6 एमएम की सेग्रिगेशन मशीन लगाई गई. जगह की कमी थी. मशीनों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है.
ईस्ट एमसीडी की इकलौती लैंडफिल साइट होने के नाते आज भी अनप्रोस्स्ड कूड़ा इसी साइट पर रखा जा रहा है. अंतर ये है कि अब टॉप पर कूड़ा नहीं डाला जाता. बल्कि साइड में खाली जगह पर डालना शुरू किया गया है. जिस प्रोसेस से ये कूड़ा कम किया जा रहा है उसे ट्रामलिंग कहते हैं.
प्रोसेस के तहत पुराने डिकंपोज कूड़े को 2 ट्रामलिंग (यूजेबल पीसेज में कर देना) 30 और 6 एमएम साइज में की जा रही है.
वहीं आम आदमी पार्टी के विधायक कुलदीप कुमार ने गौतम गंभीर के इस दावे को छलावा बताया. उन्होंने कहा कि केवल जेसीबी लगाकर कूड़े को शिफ्ट किया जा रहा है.
कुलदीप कुमार ने कहा है कि केंद्र ने इस कूड़े को नेशनल हाइवे-24 के निर्माण में यूज करने की बात कही थी. नौटंकी करने से काम नहीं होगा.
ये कूड़ा अब गाजीपुर बी-लॉक के लोगों के घरों की तरफ आ गया है. उन्होंने कहा कि प्रोसेस के एंड प्रोडक्ट के रूप में नाइट्रोजन वाली अच्छी खाद मिल रही है जिसका इस्तेमाल पार्कों में किया जा रहा है.