बगदाद में ईरान के दूसरे सबसे बड़े ताकतवर व्यक्ति और कुद्स फोर्स के चीफ मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी हमले में मौत के बाद पूरे मिडिल ईस्ट में तनाव काफी बढ़ गया है।
इस हमले के बाद जहां ईरान ने इसका बदला लेने का एलान कर दिया है वहीं अमेरिका में ही ट्रंप के इस फैसले को लेकर दो गुट बनते दिखाई दे रहे हैं। इनमें एक गुट जहां अमेरिकी राष्ट्रपति के हक में है तो दूसरा गुट इसको हत्या करार देते हुए गैर कानूनी बता रहा है।
इस गुट का कहना है कि ट्रंप ने इस फैसले से न सिर्फ अमेरिका और अमेरिकियों को बल्कि पूरी दुनिया को खतरे में डाल दिया है। हालांकि इसके बावजूद ज्यादातर देशों ने दोनों ही पक्षों से संयंम बरतने की अपील की है।
साल की शुरुआत में मिडिल ईस्ट में उभरती इस खतरनाक स्थिति ने कई देशों को हैरत में तो डाला ही है साथ ही उनके सामने मुश्किल भी पैदा कर दी हैं।
इनमें भारत के अलावा वो तमाम मुल्क हैं जो तेल के लिए मिडिल ईस्ट पर निर्भर हैं। मिडिल ईस्ट के तनाव के बाद लगातार एक सवाल उठ रहा है कि क्या ये हालात खाड़ी युद्ध या विश्व युद्ध की तरफ तो नही बढ़ रहे हैं। ये सवाल इसलिए भी खास है क्योंकि बगदाद में जो कुछ अमेरिका ने किया है इसके बाद पूरी दुनिया दो धड़ों में बंटती दिखाई दे रही है।
सीरियाई पत्रकार डाक्टर वईल अवाद ने माना कि अमेरिका ने मिडिल ईस्ट में हालात बेहद खराब कर दिए हैं। उनके मुताबिक अपने निजी हितों के लिए वर्षों से अमेरिका इस पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैलाने मे लगा हुआ है।
हालिया हमला इसी तरफ उठाया गया एक दूसरा कदम है। अमेरिकी हमले का जवाब देने का एलान ईरान कर चुका है और वो ऐसा करेगा भी। अवाद के मुताबिक इस हमले के बाद दुनिया के कई देशों की सांत्वना पूरी तरह से ईरान के साथ है।
ऐसा तब भी था जब अमेरिका ने परमाणु डील को रद किया था। अब जबकि अमेरिकी कार्रवाई से हर तरफ तनाव व्याप्त है ऐसे में रूस और सीरिया के अलावा दूसरे देश भी ईरान के साथ आकर खड़े हैं। अमेरिका ने जो हालात बिगाड़े हैं उसका खामियाजा भी उसको उठाना होगा।
अवाद के मुताबिक तेल को लेकर अमेरिका इस पूरे क्षेत्र में पहले से ही तानाशाही रवैया अपनाए हुए है। खाड़ी युद्ध के पीछे भी सबसे बड़ी वजह तेल पर कब्जा करने की थी और वहीं अब ईरान से तनाव को बढ़ाने के पीछे भी यही मंशा काम कर रही है।
उनका कहा है कि इस समस्या का केवल एक ही हल है कि अमेरिका यहां से अलग चला जाए। यदि ऐसा नहीं होता है तो तनाव बढ़ेगा और यह एक विकराल रूप ले सकता है, जिससे हर देश प्रभावित होगा। यह पूछे जाने पर कि अमेरिका के ही सांसदों ने ट्रंप के खिलाफ इस हमले के बाद मोर्चा खोल दिया है, तो उनका जवाब था कि ईरान को अमेरिकियों से कोई नफरत नहीं है, न ही वो लड़ाई में विश्वास रखते हैं।
लेकिन अमेरिका के तानाशाही रवैये के बाद यहां पर फिलहाल माहौल में शांति नामुमकिन है। आपको बता दें डॉक्टर अवाद की पहचान वार कॉरेसपोंडेंस के रूप में है और एशिया के कई देशों में वह अपनी रिपोर्टिंग बेहद मुश्किल भरे माहौल में कर चुके हैं।