मुंबई के इस्कॉन जुहू मंदिर में गो मूत्र का इस्तेमाल हैंड सैनिटाइजर के रूप में किया गया. ये घटना 15 मार्च की है. रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर में अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर खत्म हो गया था, इसके बाद आधे दिन तक गोमूत्र का इस्तेमाल बतौर सैनिटाइजर का किया गया. इस घटना पर मंदिर के रेस्तरां में जाने वाले एक शख्स ने आपत्ति जताई है.

सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर अच्छा खासा बवाल खड़ा हो गया है. हालांकि मंदिर के पदाधिकारियों का कहना है कि हाथ साफ करने के लिए दी गई चीज साफ गोमूत्र यानी की गोअर्क थी और इसमें बैक्ट्रिया से लड़ने की क्षमता होती है.
राजू नायर नाम के एक शख्स ने अपना अनुभव साक्षा करते हुए ट्वीट किया, “आज मेरा दोस्त मुझे अंधेरी में इस्कॉन मंदिर के अंदर मौजूद गोविंदा रेस्तरां लेकर गया था. सुरक्षा जांच के बाद उन्होंने मुझे अपना हाथ दिखाने को कहा और उस पर कोई चीज स्प्रे की, जिसकी गंध बड़ी अजीब थी, जब मैंने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ये गोमूत्र है.”
इस शख्स ने आगे कहा कि वे लोग किसी के हाथ पर किसी का मूत्र कैसे स्प्रे कर सकते हैं वो भी बिना पूछे. सवाल पूछने पर उन्होंने कहा कि लोग इसे पीते भी हैं, मुझे नहीं मतलब है कि लोग इसका क्या करते हैं.
मैं किसी के मूत्र से अपना हाथ धोना नहीं चाहता हूं. मेरे पास सैनिटाइजर रहता है. ये अपमानजनक था कि इस्कॉन ने बिना इजाजत के ऐसा किया. मैं मंदिर नहीं जा रहा था. मैं लंच के लिए रेस्टोरेंट जा रहा था. ये मेरी आस्था और मूल्यों के खिलाफ है.
इस घटना पर मंदिर के पदाधिकारियों से बात की. इस्कॉन मंदिर से जुड़ीं परिजात देवी दासी ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के बाद हम खुद कई उपाय अपना रहे हैं.
मंदिर में हर प्रवेश द्वार पर हम सैनिटाइजर रखते हैं और गोविंदा रेस्तरां के साथ भी ऐसा ही है. रविवार को सैनिटाइजर खत्म हो गया था. रेस्तरां के पास पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइजर मौजूद था, लेकिन प्रवेश द्वार पर खत्म हो गया था, हमने सावधानी लेते हुए गोअर्क का इस्तेमाल किया जो साफ किया हुआ गोमूत्र है.
उन्होंने कहा कि गोअर्क एंटी फंगल, और एंटी बैक्ट्रियल होता है, इसलिए जबतक हमारे पास नया माल आ नहीं गया हमने इसका इस्तेमाल सैनिटाइजर के रूप में किया.
उन्होंने कहा कि उसी दिन शाम होते होते अल्कोहल सैनिटाइजर हमारे पास आ गया था. परिजात देवी दासी ने कहा कि हमने किसी पर दबाव बनाकर इसका इस्तेमाल करने को नहीं कहा. लोग इसका इस्तेमाल करने या न करने को लेकर स्वतंत्र थे. लोग वॉशरूम गए और साबुन से हाथ धोकर आए.
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