बुधवार को सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश शुरू हो जाएगा. इसके लिए केरल की वामपंथी सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है. महिलाओं के प्रवेश से पहले इसके विरोध में सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी सहित कई राजनीतिक पार्टियां और धार्मिक संगठनों ने केरल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सबरीमाला मंदिर का कपाट बुधवार को 5 दिन की मासिक पूजा के लिए खुलने वाला है. इस मौके पर महिला संगठनों ने उसमें प्रवेश की योजना बनाई है.
आज प्रमुख पुराहितों की बैठक
त्राणवकोर देवसोम बोर्ड ने तांत्री (प्रमुख पुरोहित) परिवार, पंडलाम राजपरिवार और अयप्पा सेवा संघम समेत अलग-अलग संगठनों की मंगलवार को बैठक बुलाई है. 17 नवंबर से शुरू हो रही खास पूजा की तैयारी के लिए बुलाई गई इस बैठक में कोर्ट के फैसले पर भी चर्चा होने की संभावना है. बीते सोमवार को मुख्यमंत्री पिनारई विजयन ने मंदिर के पुजारी परिवार (पंडालम) को बैठक लिए बुलाया था ताकि बीच-बचाव का कोई रास्ता निकल सके लेकिन बैठक में कोई समाधान नहीं निकल सका.
शिवसेना और बीजेपी का विरोध
मंदिर में 10 से 50 साल के बीच की महिलाएं न जा सकें, इसके लिए तकरीबन 30 धार्मिक संगठनों ने निलक्कल और पंपा स्थित सबरीमाला मंदिर के बेस कैंप में डेरा जमा लिया है. अधिकांश संगठनों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करेंगे, जबकि शिवसेना और अयप्पा धर्म सेना ने महिलाओं को किसी भी सूरत में मंदिर में न जाने देने का मन बनाया है. उधर, बीजेपी ने भी विरोध की तैयारी कर ली है. बीजेपी की मांग है कि केरल की वामपंथी सरकार सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर करे. इस बाबत सोमवार को तिरुवनंतपुरम में एक बड़ा विरोध मार्च निकाला गया.
मलयालम मास के पांच दिन 17 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक सबरीमाला मंदिर में पूजा-अर्चना चलती है. इस दौरान रजस्वला महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित होता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस परंपरा को पलटते हुए महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दे दी है. बीजेपी सहित कई धार्मिक संगठनों का मानना है कि इससे सदियों पुरानी प्रथा खत्म हो जाएगी और सबरीमाला मंदिर की ‘पवित्रता’ बरकरार नहीं रह पाएगी.
ध्रुवीकरण की राजनीति शुरू
महिलाओं को प्रवेश मिले या नहीं, इसे लेकर कई पार्टियां आमने-सामने आ गई हैं. गौरतलब है कि केरल की राजनीति में अब तक दो पार्टियों का दबदबा रहता आया है. माकपा समर्थित लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और कांग्रेस समर्थित यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच सत्ता का बंटवारा होता रहा है. लोकसभा चुनावों से पहले महिलाओं के प्रवेश के समर्थन और विरोध को ध्रुवीकरण की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है.
केरल में दशकों से यूडीएफ और एलडीएफ की चली आ रही राजनीति को बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठनों से सीधी चुनौती मिलती दिख रही है. बीजेपी कई वर्षों के कैंपेन के बावजूद केरल में न के बराबर रही है. साल 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उसकी स्थानीय सहयोगी पार्टी भारतीय धर्म जनसेना (बीडीजेएस) ने 14 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे. इसके बावजूद 140 विधानसभा सीटों वाले केरल में बीजेपी को मात्र 1 सीट मिली थी.
अभिनेता से सांसद बने सुरेश गोपी, नलिन कुमार कतील, बीडीजेएस प्रमुख और राज्यसभा सांसद तुषार वेल्लापल्ली और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई की अगुवाई में एनडीए के कई नेता केरल के गांव-गांव में घुम कर महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ अपनी बात रखेंगे.
तृप्ति देसाई जाएंगी मंदिर
सबरीमाला मंदिर की लड़ाई तृप्ति देसाई ने लड़ी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्होंने ऐलान किया वे जल्द मंदिर में प्रवेश करेंगी. दूसरी ओर कई कट्टरपंथी संगठन देसाई को मंदिर जाने पर जान से मारने की धमकी दे चुके हैं. कट्टरपंथियों ने अपनी चेतावनी में कहा है कि तृप्ति देसाई को किसी भी कीमत पर मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. उन्होंने इस मामले की शिकायत पुलिम में दर्ज कराई है.
क्या है विरोध प्रदर्शन की योजना
-महिलाओं के लिए मंदिर का पट खोलने की योजना के बारे में मुख्यमंत्री पिनारई विजयन मंगलवार 3 बजे विस्तार से बताएंगे.
-केरल और समूचे देश में #SaveSabrimalaCampaign के तहत कई विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की तैयारी.
-अयप्पा धर्म सेना के प्रमुख राहुल इश्वर मंगलवार शाम को पंबा में प्रदर्शन की शुरुआत करेंगे.
-मंगलवार शाम में ही निलक्कल में भी विरोध प्रदर्शन शुरू करने की योजना.
-मंगलवार 3 बजे त्रावणकोर देवसोम बोर्ड की अहम बैठक.
-बोर्ड की बैठक में तांत्री (मुख्य पुजारी) परिवार, पंडलाम शाही परिवार और अयप्पा सेवा संगम के पक्षकार हिस्सा लेंगे.
-बोर्ड ने महिलाओं के प्रवेश को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. पंबा में सबरीमाला बेस कैंप में श्रद्धालुओं के लिए कोई प्रबंध नहीं हो पाया है क्योंकि केरल बाढ़ के चलते मंदिर के दफ्तर और क्लोकरूम क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
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