महाराष्ट्र में कथित ‘शालार्थ आईडी’ घोटाले की जांच कर रही विशेष जांच टीम ने एक हैरान कर देने वाला खुलासा किया है। एसआईटी के अनुसार, 547 शिक्षकों की नियुक्ति फर्जी तरीके से की गई है।
महाराष्ट्र में कथित ‘शालार्थ आईडी’ घोटाले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) ने पाया कि 500 से ज्यादा शिक्षकों को नियमों का पालन किए बिना भर्ती किया गया है। घोटाले की अनुमानित राशि 100 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
100 करोड़ से अधिक का हो सकता है घोटाला
अधिकारी ने कहा, “एसआईटी ने पाया कि 622 शिक्षकों की नियुक्तियों में से केवल 75 को ही सही प्रक्रियाओं का पालन करते हुए भर्ती किया गया। बाकी 547 को फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर भर्ती किया गया और प्रत्येक से 20-30 लाख रुपये लिए गए। इसका मतलब है कि घोटाले की राशि 100 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकती है।”
एसआईटी की प्रमुख और सहायक पुलिस आयुक्त सुनीता मेश्राम ने बताया कि जांच अब शिक्षा विभाग के उप निदेशकों के अलावा, शिक्षा अधिकारियों और शिक्षकों पर भी केंद्रित है। इस मामले में और गिरफ्तारी की संभावना है।
एक अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को भंडारा में एक टीम सेवानिवृत्त उप निदेशक सतिश मेंढे को गिरफ्तार करने के लिए गई थी, लेकिन उन्हें उनके निवास पर नहीं पाया गया।
एसआईटी इस साल अप्रैल में इस मामले की जांच करने के लिए बनाई गई थी ताकि यह पता लगाया जा सके कि कैसे फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर शालार्थ पोर्टल के माध्यम से वेतन वितरित किया गया। अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
क्या है शालार्थ?
शालार्थ महाराष्ट्र सरकार का एक केंद्रीकृत पोर्टल है, जिसका उद्देश्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के कर्मचारियों, जिनमें शिक्षक भी शामिल हैं, के वेतन और सेवा रिकॉर्ड्स को प्रबंधित करना है। शालार्थ आईडी उस पोर्टल से जुड़े कर्मचारियों को आवंटित की गई शिक्षक पहचान संख्या है।
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