वैसे तो सभी विद्यार्थी अपने भविष्य निर्माण के लिए स्कूल-कॉलेज जाते हैं लेकिन, इस छात्र ने कॉलेज का ही कायाकल्प कर दिया। उसने जर्जर भवन के मरम्मत की सिर्फ आवाज ही नहीं उठाई बल्कि मांग पूरी होने तक वह इस दिशा में सक्रिय रहीं। इस तरह अपने संघर्षशील जज्बे के चलते मलिहाबाद के सैयद बाडा निवासी छात्र इरमा फात्मा नजीर बन गई हैं।
उनके संघर्षो की यह कहानी साबित करती है कि अगर इरादे बुलंद हो तो मंजिल मिल ही जाती है। 16 वर्षीय इरमा बालिका इंटर कॉलेज झंड़ातला मलिहाबाद में कक्षा 11 में पढ़ती हैं। जब उन्होंने यहां दाखिला लिया तबसे ही उन्हें वर्ष 1940 में बने इस कॉलेज का जर्जर भवन खूब अखरता था। इसलिए उन्होंने इसकी मरम्मत के लिए आवाज बुलंद करने की ठानी। शुरुआत सातवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान वर्ष 2015 में की। सबसे पहले उन्होंने इसकी शिकायत एसडीएम से की। कार्रवाई का आश्वासन मिला लेकिन, समय बीतने के साथ यह कोरा आश्वासन ही साबित हुआ। इसके बाद भी इरमा के इरादे कमजोर नहीं हुए। उन्होंने जर्जर भवन के पुन: निर्माण के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा से दरख्वास्त की। उन्होंने कॉलेज के जर्जर भवन की ओर न सिर्फ उनका ध्यानाकर्षण किया बल्कि सभी छात्राओं की ओर से इसके शीघ्र निर्माण का निवेदन किया। आखिरकार इरमा की मेहनत रंग लाई और 2019 में कॉलेज भवन के पुन: निर्माण के लिए 4 करोड़ 55 लाख का बजट मंजूर हो गया।
निर्माण कराने का लिया संकल्प
इन असुविधाओं से प्रेरित होकर कॉलेज भवन के पुन: निर्माण के लिए प्रयास करने का संकल्प लिया। इस लड़ाई में साथ पढ़ने वाली छात्रओं के साथ ही पिता सैयद खलील अहमद ने पूरी मदद की। इस तरह हमने अपनी पीड़ा शासन तक पहुंचाई और इसका निराकरण हो सका। अब जल्द ही कॉलेज के नए भवन का निर्माण शुरू होगा।
- 16 वर्षीय इरमा बालिका इंटर कॉलेज झंड़ातला में कक्षा 11 की है छात्र
- सातवीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान वर्ष 2015 में आवाज की बुलंद
- जर्जर भवन के मरम्मत की मांग पूरी होने तक इस दिशा में रहीं सक्रिय
- 2019 में कॉलेज भवन के पुन: निर्माण के लिए 4 करोड़ 55 लाख का बजट हो गया मंजूर