आपने दादा-दादी की कहानियों में सुना होगा कि राजा का एक गुप्त खजाना, उसकी रक्षा करने के लिए एक खतरनाक सांप, और जो कोई भी उसके पास जाता उसे वह सांप जिंदा ही निगल जाता !! खैर ये तो सिर्फ कहानियां है और कुछ नहीं|
लेकिन अगर हम आपसे कहें कि आज भी एक ऐसा मंदिर है जिसकी रक्षा वर्षो से कोई सैनिक या महंत नही बल्कि एक मगरमच्छ कर रहा है तो !! जानकर हैरान रह गए ना ! लेकिन यह शत-प्रतिशत सत्य है| और तो और वह मगरमच्छ कोई मांसाहारी नही है बल्कि शाकाहारी है !! हमें पता है आप अभी भी इन बातों पर यकीन नही कर रहें है, तो आप स्वयं ही जान लिजिए इस मंदिर के रक्षक के बारें में
वैसे बात अगर मंदिर की हो रही है तो जाहिर सी बात है कि ये मंदिर भारत में ही होगा| जी हां यह मगरमच्छ भारत के केरल राज्य के कोच्चि जिले के अनंतपुरा मंदिर में रहता है| आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस मगरमच्छ की प्रकृति ही मांसाहारी होती है, वो भी शाकाहारी निकला| यह मगरमच्छ अनंतपुरा मंदिर की झील में रहता है|
यह मगरमच्छ कहां से आया, इस झील में कब आया, यह कोई नहीं जानता| लेकिन लोगों का कहना है कि नौवीं शताब्दी में मंदिर के निर्माण के बाद ही, यहां झील में अचानक एक मगरमच्छ आ गया| कई महंत और स्थानीय लोगो का कहना है कि तब से लेकर अब तक झील में कई मगरमच्छ मरे भी है लेकिन एक के बाद एक दूसरा मगरमच्छ झील में आ जाता है|
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कोच्चि जिले के अनंतपुरा मंदिर की झील में रहने वालें इस मगरमच्छ का नाम बबिया है| और यह काफी वर्षो से रह रहा है| उसका निवास झील और पास ही बनी गुफाएं हैं| आज तक इस मगरमच्छ ने किसी भी इंसान को नुकसान नहीं पहुंचाया है और ना ही इस झील में स्नान करने वाले लोगो को इस मगरमच्छ का डर है|
इस मंदिर की महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि जातिए जातीयता और धर्म की परवाह किए बिना यहाँ कोई भी जा सकता है| ऐसा माना जाता है कि यह मगरमच्छ मंदिर का रक्षक है| हालांकि एक निश्चित समय के बाद मगरमच्छ की मृत्यु के बाद दुसरा मगरमच्छ अपने आप ही उसका स्थान ले लेता है|
अनंतपुरा मंदिर एक पहाड़ी की तलहटी में बने तालाब में बना हुआ है| जहां का वातावरण बिलकुल शांत और सुरम्य है| मंदिर के ट्रस्टी रामचंद भट्ट बताते है कि यहां मंदिर में आने वाला चढ़ावा चावल, नारियल, गुड़ आदि का प्रसाद खिलाया जाता है जिसे वह बड़े चाव से खाता है| और वह सिर्फ दोपहर में भोजन करता है| आपको जानकर हैरानी होगी कि झील में मछलियां भी उससे बेखौफ रहती हैं|
इस मंदिर में सभी धर्म,सम्प्रदाय और जाति के इंसान आ सकते है उन पर किसी भी प्रकार की कोई रोक-टोक नही है| मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद लोग बड़ी ही उत्सुकतावश बाबिया मगरमच्छ के दर्शन करते है| यह मगरमच्छ एक जानवर ना होकर, उनकी आस्था का प्रतीक है| कहा जाता है कि बाबिया मगरमच्छ भगवान श्रीकृष्ण का अवतार है|
आपको जानकर हैरानी होगी कि यह मगरमच्छ मंदिर की रक्षा भी करता है| !! जी हां, यह मगरमच्छ किसी भी प्राकृतिक आपदा आदि से पहले मंदिर वालों को सचेत कर देता है| और साथ ही रात को भी मंदिर की रखवाली करता है| मंदिर के ट्रस्टी बाबिया को भगवान का संदेशवाहक मानते हैं|
मंदिर के महंत और स्थानीय लोगो का कहना है कि एक बार भगवान विष्णु के परम भक्त श्रीविल्वामंगलुथू मगन होकर भजन गायन कर रहे थे तो उन्हें बालरूपी कृष्ण बार-बार तंग कर रहे थे, जिसके कारण वे तालाब में गिर गए| माना जाता है की तभी से इस झील में मगरमछ की उत्पति हुई जो आज तक चली आ रही है|
लोगो के अनुसार भगवान विष्णु के परम भक्त श्रीविल्वामंगलुथू मगन का अवतार मानते है| हालांकि इस बात में कोई भी सत्य है इसका कोई प्रमाण नही है| लेकिन फिर भी बाबिया मगरमच्छ शुद्ध शाकाहारी है और यह किसी भी इंसान को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाता है|