कैबिनेट मंत्रियों के प्रदर्शन का आकलन करने के वस्तुत: प्रयास के तहत प्रधानमंत्री कार्यालय ने फाइलों को आगे बढ़ाने के बारे में ब्योरा मांगा है. खास तौर पर फाइल उनके कार्यालयों में कितने समय तक लंबित रही इसका ब्योरा मांगा गया है. कई मंत्रालयों द्वारा इसे कैबिनेट में फेरबदल के पहले की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है. मंत्रिमंडल में फेरबदल राष्ट्रपति चुनाव के बाद होने की संभावना है.

मंत्रियों से कहा गया है कि वे 1 जून 2014 (सरकार के कार्यभार ग्रहण करने के पांच दिन बाद) से 31 मई, 2017 के बीच अपने कार्यालयों में मिली फाइलों का ब्योरा सौंपें. पीएमओ ने जानना चाहा है कि किस अवधि के भीतर फाइलों को मंजूरी दी गई. साथ ही उन फाइलों का ब्योरा भी मांगा गया है, जो 31 मई तक लंबित थीं. ऐसा समझा जाता है कि प्रधानमंत्री ने हालिया कैबिनेट बैठक में यह निर्देश दिया है, जिसके बाद फॉर्म संबंधित मंत्रियों को भेजे गए थे.
फॉर्म पांच कॉलम में बंटे हैं. इसमें विभिन्न उपशीर्षक हैं – ओपनिंग बैलेंस, अवधि के दौरान मिली फाइलें, कुल फाइल, निस्तारण, अवधि के समाप्त होने पर लंबित फाइल और लंबित फाइलों का ब्रेकअप. लंबित फाइलों के ब्रेकअप को फिर 15 दिन, 15 दिन से एक महीना और एक महीना से तीन महीने में बांटा गया है. पीएमओ ने उन पत्रों पर भी कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है, जो प्रधानमंत्री को उनकी ई-मेल आईडी या पीएमओ के लोक शिकायत पोर्टल या उनके कार्यालय को लिखे गए थे और संबद्ध मंत्रालयों को भेजे गए थे.
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