अंतरराष्ट्रीय अदालत (ICJ) में कुलभूषण जाधव का मामला चौथी मामला है जिसमें भारत और पाकिस्तान आमने सामने खड़े हैं। इसके पहले तीन मामलों में ICJ ने फैसला लेने में पूरी सतर्कता बरती है। अब देखना है कि आज कुलभूषण जाधव मामले में क्या फैसला होना है जब दोनों देशों की निगाहें कोर्ट के दरवाजे पर टिकी है। इसके पहले इस अदालत में दोनों देश 1999 में आमने सामने आए थे। अंतरराष्ट्रीय अदालत को दूसरे विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय मामलों को सुलझाने के लिए स्थापित किया गया था।
अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के आरोपों की बंद कमरे में सुनवाई के बाद जाधव को मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने दबाव देकर जुर्म कबूल कराने का विरोध करते हुए उसी वर्ष 8 मई को ICJ में अपील की थी। इसके बाद ICJ पाकिस्तान को जाधव की मौत की सजा रोक दी थी। पाकिस्तानी मीडिया का दावा है कि ICJ जाधव की सजा को रद कर उन्हें राजनयिक पहुंच देने का आदेश दे सकता है।
ICJ का काम
अंतरराष्ट्रीय अदालत का काम कानूनी विवादों की सुनवाई कर इसका निपटारा करना है। संयुक्त राष्ट्र के अंगों और विशेष एजेंसियों द्वारा उठाए कानूनी प्रश्नों पर विचार देना भी इसके काम के अंतर्गत आता है। अदालत की भाषा अंग्रेजी और फ्रेंच हैं।
1999 में पाक ने भारत से मांगा था हर्जाना
10 अगस्त 1999 को भारतीय वायुसेना ने कच्छ में एक पाकिस्तानी समुद्री टोही विमान ‘अटलांटिक’ को सीमा में घुसकर निरीक्षण करते समय मार गिराया था। इसमें पाकिस्तान के 16 नौसैनिक मारे गए थे। जिसके बाद पाकिस्तान ने दावा किया था कि उनके विमान को उनकी ही सीमा के अंदर मार गिराया गया और भारत से इसके लिए हर्जाने के तौर पर 60 मिलियन डॉलर का हर्जाना मांगा था। ‘Aerial incident of August 10, 1999 ‘ नाम से शुरु हुई केस की सुनवाई मात्र चार दिन बाद ही 6 अप्रैल 2000 को खत्म हो गई। इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय अदालत की सोलह सदस्यीय न्यायिक पीठ ने साल 2000 की 21 जून को 14-2 मतों से पाकिस्तान के दावे को खारिज कर दिया।
भारत ने किया समझौते का उल्लंघन
19 नवंबर 1999 में कोर्ट ने निर्णय लिया था कि मामले में लिखित याचिकाओं को पहले लिया जाएगा। पाकिस्तान अपनी बात पर कायम रहा कि भारतीय एयरफोर्स के हेलीकॉप्टरों ने दुर्घटना के तुरंत बाद मलबे से सामान को उठाने के लिए उल्लंघन कर पाक में एयरक्राफ्ट क्रैश की घटनास्थल का मुआयना किया। पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत ने हवाई क्षेत्र के लिए 1991 समझौते का भारत ने उल्लंघन किया।
1991 समझौता-
भारत और पाक के बीच 1991 में हुए समझौते के बाद सीमा के दोनों तरफ बफर जोन निर्धारित किया गया है। 01 किलोमीटर तक नियंत्रण रेखा के घूमने वाले पंखों वाला कोई भी विमान नहीं उड़ सकता है। 10 किलोमीटर तक नियंत्रण रेखा के फिक्स पंखों वाला विमान (लड़ाकू, बमवर्षक विमान) पास नहीं आ सकता है।
1973 में भारत के खिलाफ पाक ने दर्ज कराया था ये मामला
मई 1973 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ मामला दर्ज किया कि युद्ध के 195 पाकिस्तानी कैदी भारत में हैं जिसे भारत ने बांग्लादेश को सौंपने का प्रस्ताव किया। पाक के अनुसार यह मानवता के खिलाफ अपराध है। जुलाई 1973 में पाकिस्तान ने अदालत को बताया कि इसके लिए भारत से समझौता हो गया है और मामला सुलझ गया है इसलिए मामले को रद कर दिया जाए।
1971 में भटक कर पाक पहुंच गया था भारतीय एयरक्राफ्ट
फरवरी 1971 में भारत ने यूएन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया क्योंकि एक भारतीय एयरक्राफ्ट भटक कर पाकिस्तान चला गया था। पाकिस्तान ने कोर्ट को बताया कि यह इंटरनेशनल सिविल एविएशन और इंटरनेशनल एयर सर्विसेज ट्रांजिट एग्रीमेंट के 1944 कंवेंशन का उल्लंघन है और ICAO के पास शिकायत दायर कर दिया। भारत ने काउंसिल के फैसले पर आपत्ति दर्ज कराया लेकिन इसे खारिज कर दिया गया जिसके बाद भारत ने कोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई। लेकिन लिखित और मौखिक कार्यवाही के दौरान, पाकिस्तान ने दावा किया कि अपील को सुनने के लिए कोर्ट अधिकृत नहीं। अगस्त 1972 के अपने निर्णय में, कोर्ट ने पाया कि भारत की अपील को सुनने का अधिकार उसके पास है। इसने निर्णय लिया गया कि ICAO परिषद भारत के आवेदन और पाकिस्तान द्वारा की गई शिकायत का निपटारा कर सकती थी तदनुसार भारत द्वारा अपील को खारिज कर दिया।