यूएनजीए अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि जिस तरह आर्थिक विकास के लिए भौतिक बुनियादी ढांचा आवश्यक है उसी तरह डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा सामाजिक परिवर्तन और प्रगति के बुनियादी वाहक के रूप में उभरा है। अगर समावेशी तरीके से इसका उपयोग हो तो यह हमारे जीवन के हर पहलू में समान अवसर प्रदान करता है। भारत इसका उदाहरण है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ्रांसिस ने कहा कि भारत इस बात का उदाहरण है कि डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) सामाजिक परिवर्तन और प्रगति ला सकता है। अगर इसका ठीक से उपयोग किया जाए तो यह समान अवसर मुहैया कराने में मददगार है।
फ्रांसिस ने कहा कि जिस तरह आर्थिक विकास के लिए भौतिक बुनियादी ढांचा आवश्यक है, उसी तरह डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा सामाजिक परिवर्तन और प्रगति के बुनियादी वाहक के रूप में उभरा है।
अगर समावेशी तरीके से इसका उपयोग हो तो यह हमारे जीवन के हर पहलू में समान अवसर प्रदान करता है। भारत इसका उदाहरण है। वह गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा इलेक्ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मदद से आयोजित सिटीजन स्टैक : डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसफार्मेटिव टेक्नोलाजी फॉर सिटिजन्स विषय पर संयुक्त राष्ट्र में पहले सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
फ्रांसिस ने कहा कि इस साल जनवरी में अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्हें यह देखने का सौभाग्य मिला कि भारत में डीपीआई के तेजी से विस्तार ने कैसे पहुंच को व्यापक बनाया है, जिससे लाखों ऐसे लोगों को वित्तीय स्वतंत्रता एवं समृद्धि मिली जो पहले या तो आर्थिक प्रणाली में किनारे पर थे या उससे बाहर थे।
केवल सात साल में भारत के डीपीआई मॉडल ने अपने नागरिकों के लिए 80 प्रतिशत से अधिक वित्तीय समावेशन हासिल किया है और दुनिया भर में होने वाले सभी डिजिटल लेनदेन में उसकी 60 प्रतिशत भागीदारी है। उन्होंने कहा कि इस मॉडल को ग्लोबल साउथ के सभी देशों में अपनाया और दोहराया जाना चाहिए।