नई दिल्ली। पाकिस्तान ने गुरुवार को कहा कि वह भारत दौरे पर गए अपने छात्रों तथा शिक्षकों को वापस स्वदेश भेजने का मुद्दा नई दिल्ली के साथ उठाएगा और मामले को ‘कूटनीतिक माध्यमों’ से निपटाने का प्रयास करेगा। ‘डॉन’ की रिपोर्ट के अनुसार, विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने एक बयान में कहा, “छात्रों एवं शिक्षकों को इसलिए वापस भेज दिया गया, क्योंकि मेजबान संगठन को धमकियां मिल रही थीं।”
अधिकारी ने कहा, “भारत में अहिष्णुता, चरमपंथ तथा आतंकवादी घटनाएं बढ़ रही हैं।”
‘पाकिस्तान के प्रति भारत की शत्रुतापूर्ण नीति’ का हवाला देते हुए जकारिया ने आरोप लगाया कि इसमें ‘हिन्दू चरमपंथी संगठन शामिल हैं, जबकि सरकार मूकदर्शक बनी देख रही है।’
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के गैर-सरकारी संगठन ‘रूट्स टू रूट्स’ ने छात्रों के आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत पाकिस्तानी छात्रों को आमंत्रित किया था। लेकिन मेजबान को कथित तौर पर शिवसेना से धमकियां मिल रही थीं, जिसके बाद भारतीय अधिकारियों ने एनजीओ को छात्रों को वापस उनके देश भेजने की सलाह दी। इसके बाद करीब 50 छात्रों व शिक्षकों को कड़ी सुरक्षा के बीच वाघा सीमा तक पहुंचाया गया।
एक छात्रा ने ‘जियो न्यूज’ से बातचीत के दौरान इसे ‘बुरा अनुभव’ करार दिया। उन्होंने कहा, “हम रात का भोजन कर रहे थे, जब प्रभारी ने बताया कि हमें पाकिस्तान लौटना होगा। हर कोई हैरान रह गया, क्योंकि हम सभी को ताज महल देखने के लिए आगरा जाना था। इसके बाद हम वास्तव में डर गए।”