लोकसभा की तीन सीटों के उपचुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद से पार्टी के अंदर से विरोध के स्वर उठने लगे हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की कड़ी आलोचना करते हुए हार का ठीकरा उनके सिर पर फोड़ा है। उनका कहना है कि पार्टी बड़बोलेपन का शिकार हो गई है और जमीनी हकीकत से दूर होती जा रही है।
पार्टी के बागी नेता और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने ट्वीट किया, चुनाव परिणाम हमारे राजनीतिक भविष्य के बारे में कई बातें कह रहे हैं। हम इसे हल्के में नहीं ले सकते हैं।’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए दुख प्रकट करते हुए कहा कि अपने मित्र योगी जी के लिए काफी अफसोस है कि वे अपने घर में ही हार गए।
पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं आजमगढ़ से पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने कहा कि सरकार चलाना योगी के वश की बात नहीं है। उपचुनाव में हार के लिए दलितों और पिछड़ों की अनदेखी को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि पार्टी अगर समय रहते नहीं चेती तो 2019 में भी पार्टी को करारी हार मिलेगी।
उन्होंने कहा कि पूजा पाठ करने वाले को सीएम बना दिया गया है। जब सरकार बनी थी तो लगा था कि योगी सबको साथ लेकर चलेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
घर में ही हारने वाले को पद देना आत्महत्या: स्वामी
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने योगी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि जो नेता अपनी सीट पर चुनाव नहीं जितवा सकता है उसे बड़ा पद देना लोकतंत्र में आत्महत्या करने जैसा है। पार्टी में कई लोकप्रिय नेता हैं लेकिन उन्हें कोई पद नहीं दिया गया है। जनता के लिए काम नहीं करने वाले लोगों को पद दिए जाएंगे तो उनके अंदर अहंकार पैदा होना स्वाभाविक है। बहरहाल, अब भी देरी नहीं हुई है और इन गलतियों को ठीक किया जा सकता है।
दो सांसदों ने भी उठाए सवाल
भाजपा के दो सांसदों ने भी सरकार और पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाए। सांसद बृजभूषण शरण सिंह इस हार से कार्यकर्ताओं के खुश होने की बात करते हुए कहा कि नेताओं को इस बारे में सोचना चाहिए। सिंह ने कहा कि हार पर वह ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे, मगर नेताओं को यह सोचना चाहिए कि हार से कार्यकर्ता दुखी होने के बाद खुश क्यों हैं?
अतिआत्मविश्वास ले डूबा : श्यामाचरण
इलाहाबाद के सांसद श्यामाचरण गुप्ता ने नेताओं में अतिआत्मविश्वास को हार का कारण बताया। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान राज्य सरकार के मंत्री नंद गोपाल नंदी की मुलायम और मायावती के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को भी हार का बड़ा कारण बताया। गुप्ता ने कहा कि न उनसे और न ही स्थानीय नेताओं-कार्यकर्ताओं से उम्मीदवारी पर चर्चा की गई। कार्यकर्ताओं को सम्मान चाहिए। ऐसा न होने के कारण उनमें निराशा थी, जबकि नेता अतिआत्मविश्वास में थे। ऐसे बड़े बड़े वादे भी नहीं किए जाने चाहिए जिसे पूरा न किया जा सके। इससे लोगों में नाराजगी बढ़ती है।
किस नेता ने क्या कहा
उपचुनाव के नतीजों ने दिखा दिया है कि एकजुट विपक्ष 2019 में भाजपा को पराजित कर सकता है। यह नतीजे सामाजिक न्याय की साझा शक्तियों की जीत है। आम चुनाव पर इसका असर पड़ेगा। अगर विपक्ष के वोट नहीं बंटे तो भाजपा हार जाएगी।
– नवाब मलिक, एनसीपी प्रवक्ता
भाजपा बहुत तेजी से रसातल में जा रही है। भविष्य में हमारे किसी मोर्चे में शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
– नवीन पटनायक, ओडिशा के सीएम
जनता ने केंद्र और बिहार में दो इंजन वाली एनडीए सरकार को खारिज कर दिया है। इसके मद्देनजर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।