भागवत: जनता को जनता की भाषा में न्‍याय, स्‍थानीय भाषा में हो कोर्ट के फैसले!

भागवत: जनता को जनता की भाषा में न्‍याय, स्‍थानीय भाषा में हो कोर्ट के फैसले!

भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता दिए जाने पर जोर देते हुए राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कोर्ट में भी स्‍थानीय भाषा के उपयोग किए जाने की वकालत की। उन्होंने कहा, ‘कोर्ट की सुनवाईयां और फैसले स्‍थानीय भाषाओं में होने चाहिए।‘ एक इवेंट में बोलते हुए उन्‍होंने विभिन्‍न उदाहरणों का हवाला दिया और कहा कि विदेशी भाषाओं के जरिए भावनाओं और अहसासों को सही तरीके से नहीं उकेरा जा सकता है। भाजपा की ओर से आयोजित इस इवेंट- भारतीय भाषा अभियान का थीम ‘मां मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्‍प नहीं- जनता को जनता की भाषा में न्‍याय’ था।भागवत: जनता को जनता की भाषा में न्‍याय, स्‍थानीय भाषा में हो कोर्ट के फैसले!

संघ प्रमुख ने कहा, चूंकि अब भारत स्‍वतंत्र है इसलिए लोगों को कोर्ट में होने वाली सुनवाई और फैसले उनके स्‍थानीय भाषा में सुनने की स्‍वतंत्रता दी जानी चाहिए।‘ उन्‍होंने आगे कहा, ‘भाषा के कानून में मातृभाषा (स्‍थानीय भाषा) होनी चाहिए।

भागवत ने कहा- भारत के कोर्ट में भारतीय भाषाओं का उपयोग किया जाना चाहिए और यदि इसके लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने की जरूरत पड़े तो वह भी किया जाए। स्‍थानीय भाषाओं के उपयोग में अतिरिक्‍त खर्च आ सकता है लेकिन अंग्रेजी के उपयोग में भी तो खर्च होता है। उन्‍होंने कहा, ‘हम सबको अपना काम भारतीय भाषाओं में करना चाहिए। सर्वसम्‍मति से चुने गए एक भारतीय भाषा का उपयोग सभी कार्यों के लिए किया जाना चाहिए।

 

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