अपने भक्त की खुशी के लिए महासू देवता ने ऐसा श्राप दिया कि पूरा का पूरा गांव ही उजड़ गया। बस एक मछली की खातिर ये पूरी तबाही हुई थी। हिमाचल के सिरमौर जिले का रास्त गांव आज अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है। इसकी कहानी भी बड़ी ही रोचक है।
भक्त की खुशी के लिए भगवान ने दिया श्राप
गांव के लोग बताते हैं कि दशकों पूर्व शिलाई गांव के 18 लोग हनौल स्थित महासू देवता के मंदिर जा रहे थे। मार्ग में रोनहाट के निकट रास्त गांव का एक व्यक्ति नदी से मछली मार कर ला रहा था। हनौल जा रहे लोगों ने व्यक्ति से मछली मांगी तो उसने देने से मना कर दिया।
बाद में इन लोगों ने व्यक्ति से जबरन मछली छीन ली और वहीं पकाकर खा ली। रात होने के कारण ये वहीं सो गए। वहीं, उस व्यक्ति ने अपने गांव रास्त में जाकर लोगों को यह बात बताई। गांव के लोग गुस्से में आ गए। रास्त गांव के औजोऊ लोग हथियारों से लैस होकर आए।
इन्होंने रास्ते में सोए 17 लोगों को मार दिया जिन्होंने ढाकी से जबरदस्ती मछली व्यक्ति ली थी। मात्र एक व्यक्ति जीवित रखा। मगर उसके भी दोनों हाथ काट दिए गए। बचते बचाते जैसे-तैसे यह व्यक्ति महासू देवता मंदिर की ओर चल पड़ा।
वहीं, महासू देवता के मंदिर में देवमाली का खेलना शुरू हो गया। देवता को अहसास हो गया कि कोई दुखी उनकी शरण में आ रहा है। जब यह पीड़ित व्यक्ति देवता के दरबार में पहुंचा तो उसने देवता से मदद मांगी।
महासू देवता ने उसे वरदान दिया कि शिलाई को रास्त गांव तथा रास्त को शिलाई गांव बना दूंगा। इस वरदात से रास्त गांव उजड़ता रहा और शिलाई गांव बसता रहा। देवदोष के चलते ही रास्त गांव में 60 परिवार में से सिर्फ 8 परिवार रह गए। बाकी किसी न किसी कारण मरने लगे।
वहीं, दूसरी ओर शिलाई के 8 परिवार 60 परिवारों में तबदील हो गए। अब जाकर दोनों गांव के लोग आपस में एकजुट हुए और मिलकर इस देवदोष का निपटारा किया। अब जाकर देवता माने और रास्त गांव वापस खुशहाली की पटरी पर लौट रहा है।
इसके बाद से ही महासू देवता की धूमधाम से पूजा की जाती है। महासू देवता मंदिर कमेटी के अध्यक्ष कंवर सिंह राणा ने बताया कि तब से लेकर आज तक क्षेत्र के सभी 52 गांव महासू देवता की मिलजुल कर पूजा अर्चना करते हैं।
गांव में दस दिन तक ये खास मेला होता है और लोग देवता से आशीर्वाद लेकर सुख समृद्घि हासिल कर रहे हैं।
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