काले धन के खिलाफ संघर्ष को जारी रखते हुए केंद्र सरकार ने कायदे-कानून का पालन नहीं करने वाली 1.20 लाख कंपनियों का पंजीकरण रद्द करने का फैसला किया है। इससे पहले दिसंबर, 2017 तक सरकार दो लाख 26 हजार कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर चुकी है। इन कंपनियों से संबद्ध तीन लाख से ज्यादा निदेशकों को अयोग्य ठहराया जा चुका है।कॉरपोरेट मामले मंत्रालय में राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने अधिकारियों को अपंजीकृत की गई कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने का निर्देश दिया है। चौधरी की अध्यक्षता में अपंजीकृत कंपनियों के खिलाफ चल रही कार्रवाई की समीक्षा के लिए पिछले हफ्ते हुई बैठक में और 1.20 लाख कंपनियों को सरकारी रिकॉर्ड से हटाने का निर्णय किया गया।
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक जिन कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया जा चुका है, उनमें से 1157 ने पंजीकरण बहाल करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में केस दर्ज किया है। एनसीएलटी ने उनमें से 180 कंपनियों का पंजीकरण बहाल करने का आदेश दिया है, जिनमें से 128 कंपनियों के मामले में ऐसा किया जा चुका है। अयोग्य ठहराए गए 992 निदेशकों ने अलग-अलग हाईकोर्ट में मामला दर्ज किया है, जिनमें से 190 का निपटारा किया जा चुका है।
चौधरी ने रिटर्न फाइल करने में विलंब करने वाली कंपनियों के मामलों के शीघ्र निपटारे का भी निर्देश दिया है। 31 मार्च, 2018 तक जो कंपनियां जरूरी रिटर्न दाखिल कर देंगी, उनका पंजीकरण रद्द नहीं किया जाएगा।