तकनीकी दिन पर दिन आगे बढ़ती जा रही है। ऐसे में लोगों के पास लगातार नए गैजेट और डिवाइस आते रहते हैं। ब्लूटूथ डिवाइस भी इनमें से एक है, जिनका इस्तेमाल ज्यादातर लोग करते हैं। आज की इंटरकनेक्टेड दुनिया में ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी डिवाइस को वायरलेस तरीके से जोड़ने में काम आता है।
इसकी मदद से स्मार्टफोन और लैपटॉप से लेकर स्मार्टवॉच और IoT डिवाइस तक सबको कनेक्ट किया जा सकता है। भले ही इसमें आपको सुविधा तो मिलता है,लेकिन सिक्योरिटी में समस्या होती है।ऐसे में जरूरी है कि आप इन जोखिमों को समझे और अपने डिवाइस की सुरक्षित रखें।
ब्लूजैकिंग( Bluejacking)
- सबसे पहले ब्लूजैकिंग की बात करें तो यह एक प्रकार का साइबर अटैक्स है, जिसमें स्कैमर्स ब्लूटूथ-सक्षम डिवाइसों पर अनचाहे मैसेज या फाइलें भेजते हैं।
- इससे स्कैमर्स आपकी प्राइवेसी को प्रभावित कर सकते हैं और उन्हें आपकी संवेदनशील जानकारी तक एक्सेस मिल सकता है।
ब्लूस्नार्फिंग(BlueSnarfing)
- ब्लूस्नार्फिंग में ब्लूटूथ-सक्षम डिवाइस के डेटा, जैसे कॉन्टेक्ट, मैसेज और मल्टीमीडिया फाइल्स तक अनचाहे एक्सेस मिलता है।
- इसमें स्कैमर्स यूजर की जानकारी के बिना जानकारी चुराने के लिए हमलावर ब्लूटूथ प्रोटोकॉल में कमजोरियों का फायदा उठाते हैं।
ब्लूबगिंग (Bluebugging)
- ब्लूबगिंग हमले हैकर्स ब्लूटूथ-सक्षम डिवाइस पर पूर्ण कंट्रोल हासिल कर लेते हैं।
- यह उन्हें यूजर की सहमति के बिना कॉल करने, मैसेज भेजने और समझौता किए गए डिवाइस पर डेटा को एक्सेस करने देता है।
डिनायल ऑफ सर्विस (DoS)
- ब्लूटूथ-सक्षम डिवाइस DoS हमलों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जहां हमलावर अत्यधिक कनेक्शन रिक्वेस्ट या बेकार डेटा के साथ डिवाइस को भर देते हैं, जिससे यह फॉलोवर्स हो जाता है।
- यह सामान्य डिवाइस फंक्शनालिटी को बाधित करता है और सिस्टम क्रैश का कारण बन सकता है।