ब्रज की होली दुनियाभर में मशहूर है। इसके बारे में कहा जाता है ‘सब जग होरी, जा ब्रज होरा…’। ऐसा इसलिए कहते हैं, क्योंकि ब्रज में रंगोत्सव का यह पर्व 40 दिन तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत बसंत पंचमी से होती है।
वृंदावन के मंदिरों समेत ब्रज में 40 दिन होली का उल्लास छाएगा। बसंत पंचमी यानि 14 फरवरी को बांकेबिहारी मंदिर एवं राधावल्लभ मंदिर सहित अन्य मंदिरों में ठाकुरजी भक्तों के साथ होली खेलेंगे। जहां सेवायत गोस्वामी आराध्य को गुलाल सेवित करेंगे, वहीं उनके कपोलों (गाल) पर गुलाल लगाएंगे। आरती के बाद श्रद्धालुओं पर गुलाल बरसाया जाएगा। राधावल्लभ मंदिर में होली के पदों का गायन किया जाएगा। इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं।
देश-दुनिया में जहां दो दिन होली मनाई जाती है। एक दिन होलिका दहन और दूसरे दिन होली मनाई जाती है, लेकिन ब्रज में बसंत पंचमी 14 फरवरी से होली की शुरुआत हो जाएगी जो कि 26 मार्च तक पूर्णिमा के दूसरे दिन पड़वा तिथि तक लगभग 40 दिन चलेगी। बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत अशोक गोस्वामी ने बताया कि बांकेबिहारी मंदिर में बसंत पंचमी से होली की शुरुआत हो जाएगी। इस दिन सेवायत गोस्वामी आराध्य बांकेबिहारी के कपोलों और ठोड़ी पर गुलाल का शृंगार करेंगे।
ठाकुरजी को गुलाल सेवित किए जाने के बाद सुबह शृंगार आरती, राजभोग आरती और शाम को शयन आरती के बाद श्रद्धालुओं पर ठाकुरजी पर चांदी के थालों में सेवित किया गया प्रसादी गुलाल बरसाया जाएगा। मंदिर के सह प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि बांकेबिहारी मंदिर में बसंत पंचमी से होली की शुरुआत हो जाएगी।
वहीं ठाकुर राधावल्लभ मंदिर में बसंत पंचमी पर बसंती रंग के पुष्पों और कपड़ों से मंदिर को सजाया जाएगा। मंदिर के सेवायत मोहित मराल गोस्वामी महाराज ने बताया कि ठाकुरजी को भी बसंती रंग की पोशाक धारण कराई जाएगी। सुबह शृंगार आरती, शाम को संध्या आरती के बाद भक्तों पर गुलाल बरसाया जाएगा।