बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर की नौकरी से निकाले जाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस एनएम जामदार और एमएस कार्णिक की बेंच ने कोचर की याचिका को सुनवाई योग्य न मानने की आईसीआईसीआई बैंक की दलील स्वीकार कर ली।
सुनवाई के दौरान बैंक ने कहा, कोचर से जुड़ा विवाद अनुबंध पर आधारित है और यह निजी संस्था का मामला है। इसलिए यह विषय सुनवाई योग्य नहीं है।
बैंक के वकील दारियस खंबाटा ने दलील दी थी, अनुच्छेद-226 के तहत ऐसे मामलों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती। यह अनुच्छेद हाईकोर्ट को ऐसे मामलों में दिशा-निर्देश देने, आदेश देने या रिट जारी करने की शक्ति प्रदान करता है।
कोचर को बैंक छोड़ने के कुंछ महीनों बाद नौकरी से निकाल दिया गया था। नौकरी से निकाले जाने को चुनौती देते हुए कोचर ने 30 नवंबर, 2019 को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
उनके वकील विक्रम नानकनी ने कहा कि बैंक ने कोचर का स्वैच्छिक इस्तीफा 5 अक्टूबर, 2018 को स्वीकार कर लिया था। इसलिए बाद में नौकरी से निकाला जाना अवैध है।
कोचर ने याचिका में यह भी कहा था कि बैंक ने उनका वेतन और अप्रैल 2009 से मार्च 2018 के बीच मिले बोनस और शेयर विकल्प आय देने से मना कर दिया है।
कोचर पर आरोप है कि उन्होंने वीडियोकॉन समूह को अवैध तरीके से 3,250 करोड़ रुपये का कर्ज देने में भूमिका अदा की और इससे उनके पति दीपक कोचर को लाभ हुआ। इस मामले के सामने आने के बाद ही कोचर को अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था।