बैसाखी का त्योहार हर साल सूर्य के मेष राशि में आने पर मनाया जाता है। इसकी वजह यह है कि संक्रांति के हिसाब से इस दिन से वैशाख का महीना आरंभ होता है। शास्त्रों में मकर संक्रांति की तरह वैशाख संक्रांति का भी विशेष महत्व है। इस संक्रांति के दिन सूर्य राशिचक्र की 12 राशियों में से पहली राशि में आते हैं यानी इस दिन से सूर्य की गणना के हिसाब से नया साल आरंभ होता है। इस साल वैसाखी के अवसर पर मासशिवरात्रि का भी संयोग बना है जो शिवभक्तों के लिए विशेष कल्याणकारी है। 
शास्त्रों के अनुसार वैशाख संक्रांति के दिन गंगास्नान और दान का बड़ा महत्व है, मासशिवरात्रि होने से गंगा स्नान का महत्व और बढ़ गया है। सूर्य का आगमन 14 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 10 मिनट पर हो रहा है इसलिए सूर्योदय से लेकर 2 बजकर 34 मिनट तक संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा जिसमें स्नान दान किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार संक्रांति से 4 घंटे पहले पुण्यकाल आरंभ हो जाता है।
बैसाखी पर दान और पूजा
इस दिन जल के भरा हुआ घड़ा दान करने से परलोक में प्यासा नहीं रहना पड़ता है। इस दिन जौ दान करने से सोना दान का पुण्य प्राप्त होता है। इस अवसर पर आम, पंखा, सत्तू दान करने का भी विधान है। इस अवसर पर वस्त्र दान भी किया जा सकता है।
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