बिहार में एनडीए से बाहर निकलने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) प्रमुख चिराग पासवान ने सोमवार को राज्य के लोगों को एक खुला पत्र लिखा। इसमें चिराग ने नीतीश कुमार सरकार द्वारा किए गए ‘सात संकल्प’ विकास कार्यक्रम और जेडीयू का अपने सहयोगियों के साथ किए गए व्यवहार को लेकर हमला बोला है।
भावनात्मक रूप से लिखे गए इस पत्र में, चिराग ने लोगों से आग्रह किया कि वे जेडीयू के उम्मीदवार को वोट देकर एक भी वोट बर्बाद न करें और कहा कि बिहार में अगले महीने चुनावों के बाद भाजपा-एलजेपी की सरकार होगी।
उन्होंने लिखा, जेडीयू उम्मीदवार को जाने वाला प्रत्येक वोट आपके बच्चों को राज्य से पलायन करने के लिए मजबूर करेगा। यह 12-करोड़ बिहारियों के लिए करो या मरो की लड़ाई है और हमारे पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। मैं जानता हूं कि एलजेपी के लिए आगे की राह आसान नहीं है, लेकिन बिहार के लोगों के लिए भी पिछले तीन दशकों से यह आसान नहीं रहा है।
एलजेपी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि जेडीयू के खिलाफ लड़ने का निर्णय आम लोगों से प्राप्त सुझावों के आधार पर लिया गया है। उन्होंने लिखा, अलग से चुनाव लड़ने का निर्णय बिहार पर शासन करना नहीं है, बल्कि राज्य पर गर्व महसूस करना है।
उन्होंने आगे लिखा कि कुछ लोग उनके फैसले के लिए अन्य उद्देश्यों को जिम्मेदार ठहराकर मतदाताओं को गुमराह करने की कोशिश कर सकते हैं। चिराग ने लिखा, लेकिन मैं आपको बता दूं, राज्य में नई सरकार भाजपा के नेतृत्व वाली होगी, जिसमें एलजेपी शामिल होगी और पार्टी के चुने हुए विधायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों को मजबूत करेंगे।
विकास और शासन के मुद्दों पर नीतीश कुमार सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों की शिकायतों का न तो स्थानीय अधिकारियों के स्तर पर निवारण किया गया और न ही राज्य के सीएम के स्तर पर। उन्होंने लिखा, इससे बिहार के चार लाख लोगों के सुझावों पर एलजेपी के, ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के विजन डॉक्यूमेंट का विकास हुआ है।
वहीं, बिहार भाजपा के महासचिव, देवेश कुमार ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पहले ही घोषणा की थी कि एनडीए के सीएम उम्मीदवार नीतीश कुमार होंगे। उन्होंने कहा, हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहे हैं।
गौरतलब है कि एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान बिहार की सत्ता से नीतीश कुमार को बेदखल करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। एनडीए का हिस्सा रहते हुए वो जनता दल यूनाइडेट (जेडीयू) के खिलाफ कमर कस रहे हैं। दिल्ली में रविवार को हुई संसदीय दल की बैठक में उन्होंने जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारने का फैसला किया।