बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग 28 अक्टूबर को होनी है। इसको देखते हुए अनुमानों का बाजार गर्म है। ना केवल बिहार बल्कि पूरे देश में लोग अपने-अपने हिसाब से राजनीतिक गुणा-भाग लगाने में जुटे हैं कि क्या बिहार में सत्ता बदलेगी या जनता अगले पांच साल और नीतीश के हाथों में सत्ता रखना चाहती है। हम जब भी किसी बात का अनुमान लगाते हैं तो उसके लिए आधार की जरूरत होती है। इसी बात को ध्यान में रखकर बिहार चुनाव को लेकर तीन अलग-अलग एजेंसियों की ओर से किए गए ओपिनियन पोल आपके सामने रख रहे हैं। इन तीनों ओपिनियन पोल के रुझान को देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस बार बिहार की जनता का मूड क्या है?
- लोकनीति-सीएसडीएस का ओपिनयन पोल
- एनडीए: 133-143 सीट
- महागठबंधन: 88-98 सीट
- एलजेपी: 2-6 सीट
- अन्य 6 से 10 सीटें
- यह सर्वे सबसे ज्यादा लेटेस्ट है।
मुख्यमंत्री के रूप में लोगों की पहली पसंद नीतीश कुमार अभी भी बने हुए हैं। 31 फीसदी लोगों की पसंद के साथ वह पहले नंबर पर हैं तो आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव 27 फीसदी लोगों की पसंद के साथ दूसरे स्थान पर हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच महज 4 फीसदी का अंतर दिख रहा है। जो बिहार जैसे राज्य के लिए बड़ी बात नहीं मानी जाएगी। चिराग पासवान को बतौर मुख्यमंत्री सिर्फ 5% लोग और सुशील मोदी को बतौर मुख्यमंत्री सिर्फ 4% लोग देखना चाहते हैं। ये सर्वे का राज्य में 10 अक्टूबर से 17 अक्टूबर बीच किया गया है। सर्वे कुल 148 पोलिंग स्टेशन तक पहुंचा और सर्वे का सैंपल साइज 3731 रहा। सैंपल साइज के बैकग्राउंड की बात करें तो 90% सैंपल ग्रामीण इलाकों से और 10% सैंपल शहरी इलाकों से लिया गया है।
बिहार में एनडीए को 38 फीसदी और महागठबंधन को 32 फीसदी वोट मिल सकते हैं। जबकि गठबंधन ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्यूलर फ्रंट को सात फीसदी और लोजपा को 6 फीसदी वोट मिल सकता है।
टाइम्स नाउ-सी वोटर ओपनियन पोल में मगध क्षेत्र की 52 सीटों में से 38 सीटों पर एनडीए जीत दर्ज कर सकता है। जबकि महागठबंधन के खाते में 14 सीटें जाने का अनुमान है। वहीं भोजपुर क्षेत्र की 48 सीटों में से एनडीए को 35 सीटें और महागठबंधन को 13 सीटें मिलने का अनुमान है। बिहार के अंग क्षेत्र की करें तो यहां की 23 सीटों पर कांटे की टक्कर रहने का अनुमान है। टाइम्स नाउ-C वोटर ओपनियन पोल के मुताबिक, अंग क्षेत्र से एनडीए को 12 सीटें मिलने का अनुमान है जबकि महागठबंधन को 11 सीटें। इसके अलावा मिथिला से एनडीए को 32 और यूपीए को 11, सीमांचल से एनडीए को 9 और यूपीए को 14 और तिरहूट से एनडीए को 34 और यूपीए को 13 सीटें मिलने का अनुमान है। सी वोटर्स ने यह सर्वे 1 से 10 अक्टूबर के बीच किया है। इसमें कुल 12,843 लोगों की राय ली गई है। सर्वे फोन पर बात कर की गई है। सी वोटर्स ने इसके लिए बिहार के सभी 243 सीटों के लोगों की राय जानी है।
- एबीपी C वोटर ओपिनियन सर्वे
- एनडीए: 141-161 सीट
- महागठबंधन: 64-84 सीट
- अन्य: 13-23 सीटें
इस सर्वे के मुताबिक एनडीए को करीब 44.8 फीसदी वोट मिल सकते हैं। वहीं महागठबंधन को 33.4 फीसदी वोट मिल सकता है। अन्य को 21.8 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है। यह सर्वे सितंबर में ही हुआ था।
निष्कर्ष क्या निकालें?
तीनों ओपनियन पोल के सर्वे देखने पर यही पता चलता है कि बिहार में एक बार फिर से नीतीश कुमार की सरकार बनती हुई दिख रही है। हालांकि इसमें से लोकनीति-सीएसडीएस के ओपिनयन पोल को हटा दें तो बाकी के सर्वे करीब महीने भर पुराने हैं। इसमें से एवीपी का सर्वे तो उसे एलजेपी के अलग चुनाव में उतरने के अनाउंसमेंट से भी पहले का है। तीनों सर्वे में वोट परसेंट पर गौर करें तो वो चौंकाने वाले दिखते हैं। जहां 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू+बीजेपी के साथ उतरने पर बिहार की जनता ने इन्हें बंपर सीट दिए थे। आलम यह था कि विपक्ष का डिकोरम पूरा करने के लिए भी सीटें नहीं आई थीं। लेकिन इस बार महागठबंधन की सीटें ज्यादा आती हुईं दिख रही हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में एनडीए खेमे में बीजेपी को 91 और जेडीयू को 115 सीटें आई थीं। आरजेडी को 22, एलजेपी को 3 और कांग्रेस 4 सीटों पर सिमट गई थीं। हालांकि यह केवल अनुमान है। वास्तविक रिजल्ट क्या होगा यह 10 नवंबर को ही पता चल पाएगा।