रंगभरी एकादशी पर बाबा श्री काशी विश्वनाथ माता गौरा की विदाई कराने काशी आएंगे। महंत आवास पर गौना के सभी लोकाचार शुरू हो जाएंगे। तैयारियों को अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है। बाबा के लिए खादी के शाही वस्त्र बनकर तैयार हैं। बाबा के परिधानों की सिलाई टेलर मास्टर किशनलाल ने की है। विगत दो दशक से वही बाबा के परिधान सिल रहे हैं।
इस बार परिधान निर्माण में उनकी शिष्या इंटर की छात्रा नम्रता टंडन ने सहयोग करते हुए माता के परिधान पर हाथों से कढ़ाई की है। बाबा की अकबरी पगड़ी केशवदास मुकुंदलाल गोटावाले नारियल बाजार चौक की ओर से सजाई जाती है।
पगड़ी को आकार मोहम्मद गयासुद्दीन देते हैं। फर्म के संचालक नंदलाल अरोड़ा ने बताया कि जो पगड़ी बाबा धारण करते हैं वह हमारे पूर्वजों के समय से बनती आ रही है। इसकी साजसज्जा, कलगी पर जरी की बूटी, नगीना हम अपने हाथ से सजाते हैं।
महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि 21 मार्च को गीत गौना, 22 मार्च को गौरा का तेल-हल्दी होगा। 23 मार्च को बाबा का ससुराल आगमन होगा।
24 मार्च को मुख्य अनुष्ठान की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में होगी। भोर में चार बजे 11 ब्राह्मणों द्वारा बाबा का रुद्राभिषेक होगा। गौरा की मांग में सजाने के लिए सिंदूर लाने की रस्म महंत परिवार की महिलाएं पूरी करेंगी। गौरा के लिए अन्नपूर्णा मंदिर और मंगला गौरी मंदिर में प्रतिष्ठित विग्रहों से सिंदूर लाया जाएगा।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर महंत परिवार के लोकपति तिवारी ने बताया कि रंगभरी एकादशी की परंपरा उनके बड़ादेव स्थित आवास पर भी निभाई जाएगी। शनिवार को प्रेसवार्ता में उन्होंने बताया कि आवास से ही मंदिर के लिए बाबा की पालकी यात्रा निकाली जाएगी।
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