फ्रांस में मोहम्मद पैंगबर के कार्टून को दिखाने पर इतना बवाल मचेगा, इसका आकलन शायद ही किसी ने लगाया होगा। फ्रांस के खिलाफ कई मुसलमानों ने मोर्चा खोल लिया है और फ्रांस बहिष्कार करने का आवाह्न किया है। फ्रांस में इस्लाम अलगाववाद खत्म करने के लिए राष्ट्रपति मैक्रों ने शपथ ली, जिसका नतीजा निकला कि ज्यादातर मुस्लिम देश अब फ्रांस के खिलाफ हो गए हैं।
हाल ही में फ्रांस में नीस शहर के चर्च नॉट्रे-डेम बैसिलिका में एक व्यक्ति ने चाकू से हमला कर दो महिलाओं और एक पुरुष की जान ले ली। दो हफ्ते से भी कम समय में फ़्रांस में इस तरह का यह दूसरा हमला है। ऐसा बताया जा रहा है कि आरोपी ने अल्लाहू अकबर के नारे लगाए थे। मोहम्मद पैगंबर का कार्टून दिखाने वाले टीचर की निर्मम हत्या करने के बाद से फ्रांस में हालात स्थिर नहीं है।
फ्रांस के राष्ट्रपति की इस्लामवादियों के आगे ना झुकने की शपथ के बाद से तुर्की और पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अपना फायदा ढूंढ रहे हैं। कुछ मुस्लिम देशों ने फ्रांसीसी सामान का बहिष्कार करने की अपील की है। पाकिस्तान, ईरान, बांग्लादेश, लीबिया, कुवैत जैसे देशों में फ्रांस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
गुस्साई जनता फ्रांस के झंडे और राष्ट्रपति मैक्रों के पुतले जला रही है, इसके अलावा फ्रांस मुर्दाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि आखिर दुनिया के मुस्लिम देशों में फ्रांस के खिलाफ इतना गुस्सा क्यों है और फ्रांस ने इस्लाम कट्टरवाद के खिलाफ क्या रुख अपनाया है…
फ्रांस और मुस्लिम देशों के बीच इस जंग की शुरुआत 16 अक्तूबर को हुई थी। इस दिन पेरिस में एक स्कूल टीचर सैमुएल पैटी की गला रेत कर हत्या कर दी थी। इस टीचर का गुनाह इतना ही था कि उसने अपनी कक्षा में मोहम्मद पैंगबर पर बने कार्टून को दिखाया था।
टीचर की इस हरकत पर एक 19 साल का लड़का इतना गुस्से से भर गया कि उसने शिक्षक की गला रेत कर हत्या कर दी। फ्रांस में मामले ने तूल तब पकड़ा, जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों शिक्षक को श्रद्धांजलि देने गए और वहां जाकर उन्होंने एलान कर दिया कि वह इस्माल कट्टरवाद के आगे नहीं झुकेंगे।
मैक्रों ने सैमुअल पैटी को मरणोपरांत फ्रांस का सर्वोच्च सम्मान दिया गया। मैक्रों के इस बयान के बाद दुनिया के इस्लामिक देश फ्रांस के खिलाफ हो गए और फ्रांस पर इस्लामोफोबिया फैलाने का आरोप लगाने लगे। पेरिस में एक स्कूल टीचर की हत्या से फ्रांस और मुस्लिम देशों में खट्टास और बढ़ गई।
हालांकि राष्ट्रपति मैक्रों ने दो अक्तूबर को ही इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ मुहिम छेड़ने का एलान कर दिया था। मैक्रों ने एलान किया कि फ्रांस नया कानून लेकर आएगी, जिसमें धर्म को शिक्षा व्यवस्था से दूर रखा जाएगा। इसके अलावा फ्रांस ने 100 से ज्यादा ऐसी मस्जिदों को बंद करने का एलान किया है, जहां कट्टरवाद को बढ़
फ्रेंच पत्रिका शार्ली एब्दो अपने कार्टून और व्यंग्य के लिए मशहूर रही है। ये मैगजीन सिर्फ इस्लाम ही नहीं बल्कि सभी धर्मों और समुदाय को लेकर व्यंग्य करती थी और कार्टून छापती थी। इसके अलावा मैगजीन में कट्टरपंथियों और उग्रवादियों के खिलाफ आलेख लिखे जाते थे। दरअसल, शार्ली एब्दो हाल ही में चर्चा में नहीं आया है, इससे पहले भी मोहम्मद पैगंबर के कार्टून छापने पर मैगजीन खूब चर्चा में रही थी..
2011 में मैगजीन ने मोहम्मद पैंगबर के स्केच बनाए थे, इस पर खूब हंगामा मचा, गोलीबारी हुई लेकिन किसी की जान नहीं गई।
2012 में भी मैगजीन मे मोहम्मद पैगंबर के स्केच छापने का फैसला किया, इसमें पैगंबर को बिना कपड़ों के दिखाया गया था लेकिन हिंसा तेज होने के चलते सरकार ने स्केच वापस लेने की अपील की।
2015 में फिर मोहम्मद पैगंबर और इस्लाम से जुड़े कार्टून्स छापे, जिसके बाद वहां आतंकवादी हमला हुआ और इस हमले में दस पत्रकार और दो पुलिसकर्मी मारे गए थे।
यह हमला अलकायदा की यमन ब्रांच ने करवाया था। संगठन ने कहा कि उसने पैगंबर के अपमान का बदला लिया है। नवंबर 2015 में इस्लामिक स्टेट ने पेरिस में कई हमले करवाए, जिसके बाद 130 लोगों की जान चली गई। एक सितबंर 2020 को एक बार फिर यही कार्टून्स मैगजीन ने अपने वेबसाइट पर छापे, फिर दो सितंबर को प्रिंट एडिशन में छापे।