फिल्म इंडस्ट्री में हीरो बनने आए इंसान को सिर्फ परदे पर ही नहीं निजी जिंदगी में भी लड़ना होता है: गायक शैलेंद्र सिंह

हिंदी सिनेमा के उभरते सितारे सुशांत सिंह राजपूत की आकस्मिक मौत से फिल्म जगत में खेमेबाजी का मुद्दा फिर गरमा गया है। विवेक ओबेरॉय ने अपने ट्वीट में अपने दर्द का इशारा किया।

तो फिल्म दबंग के निर्देशक अभिनव कश्यप ने सीधे सीधे सलमान खान और उनके परिवार को अपना करियर तबाह करने का जिम्मेदार बता दिया है। इन चर्चाओं का एक सिरा अब सत्तर के दशक से भी जुड़ रहा है।

ये किस्सा है एक ऐसे लोकप्रिय गायक का जिसने ऋषि कपूर की बतौर हीरो पहली फिल्म बॉबी के सारे गाने गाए, लेकिन फिर वह फिल्म इंडस्ट्री की इसी राजनीति का शिकार हो गया।

जिक्र यहां मैं कर रहा हूं गायक शैलेंद्र सिंह का। शैलेंद्र सिंह मुंबई में ही जन्मे, यहीं पढ़े लिखे और फिर पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला पाने में सफल रहे। पुणे वह गए थे एक्टिंग की ट्रेनिंग करने, लौट के आए तो वह कुछ फिल्मों में एक्टर बने भी।

रेखा के भी हीरो बने फिल्म एग्रीमेंट में। लेकिन शैलेंद्र सिंह को दुनिया ने जाना उनकी मखमली आवाज की वजह से। वह आवाज जिसकी कशिश को सबसे पहले पहचाना शो मैन राजकपूर ने।

एक पुरानी और लंबी बातचीत में शैलेंद्र सिंह ने बताया था कि कैसे वह पुणे से हर वीकएंड पर मुंबई आया करते थे और इसी दरम्यान उनकी मुलाकात राजश्री प्रोडक्शंस के एक सज्जन से हुई जिन्होंने उन्हें राज कपूर से मिलवाया।

राज कपूर ने शैलेंद्र सिंह से फिल्म बॉबी में ऋषि कपूर पर फिल्माए गए सारे गाने गवाए। फिल्म हिट रही। गाने सुपरहिट रही। और, शैलेंद्र सिंह रातोंरात देश के नए सिंगिंग सेंशेशन बन गए।

ऋषि कपूर की अगली फिल्म खेल खेल में उनका गाया गाना, हमने तुमको देखा, तुमने हमको देखा, बॉबी के गानों से भी बड़ा हिट गाना रहा। और, फिर इसी शोहरत ने शैलेंद्र सिंह के करियर को नजर लगा दी।

शैलेंद्र सिंह को अपने करियर में लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, बप्पी लाहिड़ी और राम लक्ष्मण जैसे गुणी संगीतकारों का खूब साथ मिला। शैलेंद्र सिंह का नाम ऋषि कपूर के बाद मिथुन चक्रवर्ती की आवाज बनकर भी खूब चमका, लेकिन खुद शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि उनके साथ उनके करियर के शीर्ष पर सियासत हो गई।

वह नाम तो किसी का नही लेते लेकिन हिंदी फिल्म संगीत इतिहास पर नजर रखने वाले जानते हैं कि धीरे धीरे शैलेंद्र सिंह के लिए बने तमाम गाने किशोर कुमार के पास जाने लगे थे और इसमें उनकी मदद कर रहे थे मशहूर संगीतकार आर डी बर्मन।

ये बात पूरे जमाने में कही जाने लगी तो बहुत बाद में फिर शैलेंद्र सिंह को एक मौका फिल्म सागर में मिला था, ऋषि कपूर पर फिल्माए गाने, जाने दो ना, का हिस्सा बनने का। फिल्म सागर के संगीतकार थे आर डी बर्मन।

सुशांत सिंह के निधन की बात सुनकर शैलेंद्र सिंह भी काफी दुखी हैं लेकिन वह कहते हैं ये फिल्म इंडस्ट्री में शुरू से चला आ रहा है। लेकिन, इसका हल आत्महत्या कर लेने में नहीं है।

यहां हीरो बनने आए इंसान को सिर्फ परदे पर ही नहीं बल्कि निजी जिंदगी में भी काफी लड़ना होता है और हीरो बनकर रहना होता है। शैलेंद्र सिंह ने अपने करियर का आखिरी गाना मिथुन चक्रवर्ती के लिए ही फिल्म भोले शंकर में गाया और बाकायदा मिथुन की जिद पर गाया।

शैलेंद्र इन दिनों मुंबई में हीरो बनने आने वाले युवक युवतियों को अभिनय का प्रशिक्षण देते हैं और उन्हें इस शहर की जिंदगी के लिए खुद को तैयार करने के सबक भी सिखाते हैं।

 

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