फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर नौ मार्च यानी सोमवार को यायिजय योग में होलिका दहन होगा और मंगलवार को रंग खेला जाएगा। शहर में होलिका दहन के लिए जगह-जगह तैयारी हो चुकी हैं। हर चौक और चौराहों पर होलिका सजी है और शुभ मुहूर्त में दहन का इंतजार किया जा रहा है।
इस बार होलिका दहन में भद्रा दोष नहीं
चिंताहरण जंत्री के संपादक पंडित विजय त्रिपाठी के मुताबिक, इस होलिका दहन में भद्रा का दोष नहीं है। होलिका का दहन प्रदोष काल में करना शुभ होता है। सोमवार को शूल योग शाम 4.57 बजे लगेगा। इस योग के शुरुआती दो घंटे तक होलिका दहन नहीं हो सकता है। इसलिए, शाम 6.57 बजे से रात्रि 7.43 बजे के बीच होलिका दहन करना शुभ होगा, क्योंकि इस अवधि में यायिजय योग, पूर्णिमा, सिंह राशि का चंद्रमा और सोमवार का संयोग होगा। इस अवधि में होलिका का दहन करने से नकारात्मक ऊर्जा का शमन होगा और सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी। होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक समाप्त हो जाएगा और फिर मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
जानिए-क्यों लगता है होलाष्टक
पंडित विजय त्रिपाठी के मुताबिक होली से आठ दिन पूर्व तक भक्त प्रहलाद को अनेक यातनाएं दी गई थीं, जिसके कारण इस काल को होलाष्टक कहा जाता है। होलिका दहन के साथ ही विवाह व अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं। वहीं ज्योतिषाचार्य पं. ऋ षि द्विवेदी के अनुसार, होलिका दहन का शुभ समय प्रदोष में शाम 5.30 से 6.30 बजे तक रहेगा। रात 11.27 बजे से पहले होलिका दहन कर लेना होगा।
होली पूजन करने की विधि
होली पूजन करने से पूर्व भगवान नरसिंह और प्रह्लाद की पूजा करने की मान्यता है। इसे अग्नि प्रज्ज्वलन करके होलिका दहन किया जाता है। इस आग में लोग घरों से गोबर से बने बल्ले लाकर डालते हैं। इसी समय गन्ना और चना समेत नई फसल आती है। लोग होलिका की अग्नि में गन्ने में चना और जौं की फसल को फंसाकर भूनते हैं। इसके साथ ही होलिका की सात परिक्रमा लगाकर सुख समृद्धि की कामना करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में बुरे प्रभाव का नाश होता है।
पूजन का महत्व
घर में समृद्धि, सुख और शांति तथा संतान के लिए महिलाएं भी होलिका पूजन करती हैं। इस दिन बड़े और बच्चों के शरीर पर उपटन लगाकर निकलने वाले अंश की लोई बनाती हैं और फिर उनकी लंबाई का धागा काटकर उसमें लपेटकर पिंडी बनाती है। इस पिंडी को होलिका की अग्नि में डालती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि यदि घर के बच्चों और बड़ों में कोई बुरी छाया का प्रकोप है तो ऐसा करने से वह नष्ट हो जाता है। इसके साथ ही शरीर निरोगी और स्वस्थ रहता है।
इस ग्रह नक्षत्रों के शुभ योग
इस बार होलिका दहन पर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में होने से शुभ योग बन रहे हैं। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र सुख-सुविधा और समृद्धि लाने वाला होता है। यह ग्रह खुशी और ऐश्वर्य का भी परिचायक है। आने वाले साल में शुक्र की कृपा रहेगी। सोमवार व पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र होने से ध्वज योग बन रहा है। ध्वज योग से कीर्ती और यश की प्राप्ति होती है। सोमवार का दिन चंद्रमा का माना जाता है और पूर्णिमा तिथि होने से आज अधिक प्रभाव होगा। स्वराशि स्थित बृहस्पति की दृष्टि चंद्रमा पर रहने के कारण गजकेसरी योग भी है। वहीं सूर्य और बुध का एक राशि में होने से बुधादित्य योग भी बना है। गुरु और शनि भी अपनी राशि में स्थित हैं। ग्रहों की ऐसी स्थिति में होलिका दहन शुभ फल देने वाला होगा।