स्वतंत्रता दिवस को लेकर देश में बड़े स्तर पर तैयारियां हो रही हैं। एेसे देश के कुछ बड़े विशेषज्ञों ने सभी नागरिकों को प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है। इसके साथ ही कागज से बने झंडों को सहेजकर रखने की भी सलाह दी है। यह देश के सम्मान में एक बड़ा कदम साबित होगा। इंडिया वेस्ट टू एनर्जी रिसर्च एंड टेक्नोलाॅजी काउंसिल के डायरेक्टर अरुन सावंत का कहना है कि इस साल 72वें स्वतंत्रता दिवस पर सभी लोग कागज या कपड़े से बने झंडे खरीदें। इन दिनों बाजार में प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वजों की भरमार है लेकिन इन झंडों को बिल्कुल न खरीदें।यह कदम इको फ्रेंडली होने का सबूत देगा। 
पेपर के झंडे भी न जमीन पर फेंके आैर न फाड़ें
वहीं इंस्टीट्यूट आॅफ केमिकल टेक्नोलाॅजी, पाॅलीमार एंड सरफेस इंजीनियरिंग के हेड आॅफ डिपाॅर्टमेंट आरएन जगताप का कहना है कि प्लास्टिक से बने झंडे प्राकृतिक तरीके से नष्ट नहीं होते हैं। इसलिए ये झंडे नहीं इस्तेमाल करने चाहिए। वहीं इसके साथ ही उन्होंने पेपर से बने झंडों की कीमत भी बतार्इ। करीब 93 परसेंट पेपर तैयार करने के लिए पेड़ काटे जाते हैं। एक A4 साइज पेपर तैयार करने में आैसतन 5 लीटर पानी इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि इस समारोह के बाद कुछ लोग कागज से बने झंडों को इधर-उधर फेंक देते हैं। बारिश में भीगने के लिए भी छोड़ देते हैं।जबकि एेसा करना गलत है। इन्हें न जमीन पर फेंके आैर न ही फाड़ें।
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