चिराग ने मोदी की तस्वीर अपने चुनाव प्रचार में इस्तेमाल न करने की घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे अभिभावक हैं। वे हमारे दिल में रहते हैं। उनकी तस्वीर को लेकर कई लोग परेशान हैं। प्रधानमंत्री की तस्वीर की जरूरत नीतीश कुमार को है। इससे पहले बिहार के उप मुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि लोजपा एनडीए का हिस्सा नहीं है। बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन के साथ हम और वीआईपी हैं। अगर गैर-एनडीए प्रत्याशी प्रधानमंत्री का नाम या उनकी तस्वीर का उपयोग करता है तो ऐसे लोगों के खिलाफ भाजपा कानूनी कार्रवाई करेगी।
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने दूसरे चरण के चुनाव में भाजपा के खिलाफ भी अपने उम्मीदवार खड़े कर यह भ्रम तोड़ दिया है कि वह केवल जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के खिलाफ है। भाजपा के बागियों के चिराग की लोजपा में शामिल होने से यह संकेत गया था कि यह उन्हें भाजपा का नेतृत्व नीतीश के मुकाबले खड़ा करने की योजना का हिस्सा था, लेकिन भाजपा के बदले तेवरों से लोजपा को भी अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा है।
भाजपा ने न सिर्फ सभी बागियों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है बल्कि लोजपा के खिलाफ जोरदार तरीके से प्रचार करने का भी फैसला किया है। लोजपा ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए दूसरे चरण के चुनाव के लिए अपने 50 प्रत्याशियों को चुनाव निशान देना शुरू कर दिया है। पहले चरण की तर्ज पर भाजपा के बागियों को भी पार्टी कई सीटों से उम्मीदवार बना सकती है। इनमें 2015 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े कामेश्वर सिंह मुन्ना, पूर्व उद्योग मंत्री और भारतीय सबलोग पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष रेणु कुशवाहा आदि शामिल हैं।
लोजपा दूसरे चरण में चार सीटों पर भाजपा के खिलाफ भी अपना उम्मीदवार उतार रही है। इनमें भागलपुर से राजेश कुमार वर्मा, राघोपुर से राकेश रौशन, गोविंदगंज से राजू तिवारी और लालगंज से रामजकुमार साह को पार्टी मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। गोविंदगंज और लालगंज लोजपा की सीटिंग सीट है। पहले चरण में लोजपा ने भाजपा के किसी भी उम्मीदवार के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं दिया है। चिराग पासवान द्वारा अपने बहनोई मृणाल और चचेरे भाई कृष्ण राज को भी मैदान में उतारा जा सकता है। कृष्ण राज चिराग के चाचा स्वर्गीय रामचंद्र पासवान के बेटे और सांसद प्रिंस राज के बड़े भाई हैं।
लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान को अपने पिता के साये का सहारा है। पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद खुद मोर्चा संभाल रहे चिराग के लिए यह बड़ी परीक्षा साबित होने वाली है।