बाघों के आकलन को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून (डब्ल्यूआईआई) में राजाजी और कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक समेत उत्तरी क्षेत्र के अन्य टाइगर रिजर्व के निदेशकों की क्षेत्रीय बैठक भी हो चुकी है। अब पहले चरण में आगामी अक्तूबर में साइंस सर्वे शुरू करने की तैयारी है।
राज्य में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई थी। स्टेटस ऑफ टाइगर्स को-प्रीडेटर्स एंड प्रे इन इंडिया – 2022 रिपोर्ट जारी हुई थी, इसमें बाघों की संख्या 560 का जिक्र था। अब आगामी रिपोर्ट को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। यह काम डब्ल्यूआईआई के माध्यम से होना है, इसको लेकर हाल में संस्थान बैठक भी हुई थी। इसमें शामिल हुए कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला कहते हैं कि कार्यशाला में वन विभाग से कैमरा ट्रैप आदि के बारे में जानकारी मांगी गई थी। इस दौरान ट्रेनिंग को लेकर भी जानकारी साझा की गई।
बडोला कहते हैं कि तीन चरणों में बाघ आकलन का काम होता है, इसमें पहले चरण में साइंस सर्वे होता है। जो अक्तूबर से शुरू होगा। साइंस सर्वे को इकोलॉजी मानीटरिंग भी कहा जाता है, इसमें वन्यजीवों की उपस्थिति के संबंध में जो जानकारी होती है उसको वन कर्मी नोट करते हैं।
फिर इस जानकारी को डब्ल्यूआईआई को दिया जाता है, वह उसका अध्ययन करते हैं जो कि दूसरा चरण होता है। फिर तीसरे चरण में साइंस सर्वे के हिसाब से कैमरा ट्रैप का ग्रिड बनाकर जंगल में लगाया जाता है। फिर कैमरा ट्रैप में आए फोटोग्राफ को पुन: डब्ल्यूआईआई को सौंपा जाता है। फिर वे उसका अध्ययन कर रिपोर्ट जारी करते हैं।
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